Sunday, 28 May 2017

दोहरी मार (double punishment )

बात उस समय की है , जब सुदामा और कृष्ण सांदीपनि ऋषि के आश्रम में विद्या ग्रहण कर रहे थे , एक बार गुरुमाता ने उन्हें वन से लकडिया लाने को कहा तथा साथ में चने की पोटली सुदामा को दिया तथा कहा भूख लगे तो तुम दोनों मिलबांटकर खा लेना | 
वन से आते समय संध्या हो गयी  काले बदल घिर आये और घनघोर वर्षा होने लगी | 
सुदामा व कृष्ण ने जंगली जानवरो से बचने हेतु रात भर पेंड पर ही गुजारा करने का निर्णय लिया भूख व ठण्ड से व्याकुल दोनों पेंड पर ही रुके रहे , रात को सुदामा चने खाने लगा कृष्ण ने पूछा सुदामा कही तुम चने अकेले तो नहीं खा रहे हो ?? सुदामा बोला नहीं कृष्ण ठंड़ से मेरे दांत बज़ रहे है | कृष्ण मन ही मन मुस्कुराये व सोचे आज गुरुमाता की अवज्ञा की वजह से और भविष्य में जो दरिद्रता तुम्हे देखनी पड़ेगी उसका दर्द तकलीफ आज के दिन से भी मेरे लिए कही ज्यादा होगी |
सच ही है , भक्त और भगवान् के खेल में दोहरीमार हमेशा भगवान को ही पड़ती है | 
                                         लेखक;- सीरियल से _______ रविकान्त यादव for more click ;-                                                   https://www.facebook.com/ravikantyadava
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