वो कहते है ,न कि धन गया तो कुछ नहीं गया ,स्वास्थ्य गया तो थोड़ा गया परन्तु यदि चरित्र गया तो समझो सब कुछ चला गया |
समाज में जिसे अपनी बहन ,बेटी जैसी नहीं दिखती , वास्तव में वो व्यक्ति नराधम है | लोक में ही नहीं परलोक में भी कलंकित है | ऐसे व्यक्ति दरिद्र बने रहते है , ऐसे व्यक्ति कितना भी धन अर्जित कर ले ,सदा अभाव में ही मरते है , व कुल को भी नाश करने वाले होते है |
रावण जिसका वैभव तीनो लोको में था , देवताओ तक को बंदी बना लेता था , उसने चरित्र हनन किया तो उसके कुल का ही नाश हो गया | दुर्योधन अपनी सीमाओं का उलघन किया तो उसका समूल वंश ही समाप्त हो गया |
आचरण ही केवल एक मात्र कर्म है ,जिससे भूत ही नहीं भविष्य भी निर्मित होता है ,अच्छे कर्म जिसके लिए स्वर्ग के देवता भी तरसते है | हमें अवतारी राम ,कृष्ण से तुलना या जैसा आशा नहीं करनी चाहिए या कहे तो समाज में किसी से भी अपनी तुलना नहीं करनी चाहिए | राम जहा मर्यादा पुरुषोत्तम है , वही कृष्ण लीला पुरुषोत्तम कहलाये ,जो अपनी शक्ति , योग्यता के साथ बुद्धि ,गुण होने के कारण भगवान कहलाये |
नरकासुर जिसे भौमासुर भी कहते है ,उसकी कैद में बंदी 16100 स्त्री रानीया थी ,जिसे श्री कृष्ण नरकासुर का वध कर 16100 दासीयो को मुक्त कराते है | परन्तु वो स्त्रीया श्री कृष्ण से कहती है , समाज व परिवार ने उनका परित्याग कर दिया है | व एक राक्षस की पत्नी होने का कलंक लेकर वह कहा जीयेगी ,तब श्री कृष्ण उनसे उनकी इच्छा व वरदान मांगने को कहते है,तब वो उन्हें वर रूप में प्राप्त होने को कहती है | तब श्री कृष्ण 16100 रूप प्रकट कर उनसे विवाह करते है | जो द्वारका में रहकर कृष्ण भक्ति व धर्म कर्म में लगी रहती थी | इसके अतिरिक्त श्री कृष्ण की 8 प्रमुख पत्नीया थी , जो तपस्यारत होकर श्री कृष्ण को वर स्वरुप प्राप्त की थी | ये सभी पत्नीया श्री कृष्ण के पूर्वजन्म से नियोजित निर्धारित थी | अतः कृष्ण के चरित्र व्यवहार पर अनभिज्ञ लोगो को संदेह नहीं करना चाहिए |
नरसी भगत कृष्ण से शिकायत करते है ,कहते है ,आवत लाज गवाये आखिर जात अहीर |
महाभारत युद्ध बाद उत्तंग ऋषि कहते है ,कृष्ण तुमने नरसंहार किया है , इस युद्ध के जिम्मेदार तुम हो | जीवन जिलाने के लिए होता है | तुम मेरे शाप के भागी हो , कृष्ण कहते है ,मै तपस्वीओ के तपोबल का आदर करता हु , मै शाप ताप से परे हु | बाद में उत्तंग ऋषि को प्यास लगने पर कृष्ण अमृत भेजते है ,जिसे उतंग ऋषि अज्ञानतावश ठुकरा देते है |
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