Wednesday, 28 November 2018

अपराजिता (the invincible)


अभी तक नारी को कोई जीत नहीं सका है ,चाहे वह राम हो या रावण , कंस हो या कृष्ण , महिसासुर हो या महाकाल सभी नारीया सत्ता , सामर्थ्य ,शक्ति की ताक़त से ऊपर ही है | 

नारी को भोग विलास , शोषण व सेविका समझने वाले महिसासुर की तरह मर्दन करने योग्य ही होते है | 




एक महिला पृथ्वी के सामान ९ महीने का भार उठाकर एक पुरुष या महिला को जन्म देती है | पुरुष का तो पता नहीं पर महिला को हम अपराजिता जरूर कहेगे | 




ये सती , सावित्री, अनसुइया  जैसी साधारण महिलाये ही है, जो ब्रह्माण्ड की सारी शक्तियों को अधीन कर लेती है | फिर भी हम किसी महिला को सम्मान नहीं दे सकते तो धरती पर उसकी उपस्थिति शर्मनाक है | 


लेखक;- सम्मान के साथ ____रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/ and https://www.facebook.com/ravikantyadava





शिव (lord of time )


ॐ नमः शिवाय 
भगवान शिव के १०8  नाम है , प्रमुख १० नाम  १) शिव - जिसका अर्थ है =कल्याण स्वरुप २)महेश्वर = माया के अधीश्वर ३) शम्भू -आनंद स्वरुप वाले ४)पिनाकी- पिनाक धनुष धारण करने वाले ५)शशिशेखर = सिरपर चन्द्रमा धारण करने वाले  ६) वामदेव - अत्यंत सुन्दर स्वरुप वाले  ७) विरुपाक्ष - विचित्र आंखवाले त्रिनेत्रधारी ८)कपर्दी - जटाजूट धारण करने वाले  ९) नीललोहित - नीले  और लाल रंग वाले  १०) शंकर - सबका कल्याण करने वाले | 
भगवान शिव को स्वयंभू कहा गया है , अर्थात जिसका अर्थ है , वह अजन्मा है , एक बार शिव अमृत पान की लालसा ही नहीं लिए हुए अमृत लेकर जब अपने जंघा पर मलते है, तो विष्णु का जन्म हुआ बाद में विष्णु के नाभि कमल से ब्रम्हा उत्पन्न हुए | 




शिव का न आदि है न अंत है , जो अजन्मा अविनाशी है | शिव महाकाल है अर्थात कालो के काल मृत्यु के भी देवता ,जो भूत ,भविष्य ,  वर्तमान  पर नियंत्रण रखते है , | काल यात्रा कर सकते है , अर्थात त्रिकाल दर्शी है , भूत, भविष्य , वर्तमान को जानने वाले है , व  बदलने वाले भी शिव है , इनका त्रिसूल तीनो कालो का सूचक है | 
जो जीवन मृत्यु से परे है , जो काल समय से परे है ,वो शिव है | 



महादेव है ,अर्थात देवो के भी देव है , राम से लेकर रावण तक इनके उपासक है |  देव दानव मानव सभी इनकी आराधना करते है , | शिव सभी के है , देव , दानव , मानव, भूत,प्रेत, यक्ष , गन्धर्व, नाग, किन्नर , सभी शिव कृपा पात्र है , शिव सभी के है | 




एक तरफ बालक मार्कण्डेय की मृत्यु जन्म के साथ  निर्धारित  करते है , दूसरी तरफ जब उनकी मृत्यु आती है तब न केवल मृत्यु से उनकी रक्षा करते है , वरन अमरता का वरदान भी प्रदान करते है |



 शिव ही आदि है तो अंत भी है , अर्थात जिसका न तो आदि है न अंत  , ब्रह्माण्ड की सारी  शक्तिया शिव के अधीन है , शिव त्रिलोकी नाथ है , शिव गुरुवो के भी गुरु है , समुद्र मंथन से सभी को सुख , सफलता , सम्पन्नता , ऐश्वर्य, धन, वैभव, अमरता आदि की कामना थी , परन्तु शिव को कुछ नहीं चाहिए , शिव बैरागी है , उल्टे  उन्होंने लोक कल्याण हेतु हलाहल विष का ही पान कर लिया 




तो दूसरी तरफ तपस्या में बाधा  पहुंचाने  पर कामदेव को ही जला कर भस्म कर  देते है  | शिव आज भी गुरु है , सारी शक्तिया शिव से ही है , अतः उस आशुतोष जो तुरंत प्रसन्न होते है | विष्णु को सुदर्शन चक्र , परशुराम को अजेय दिव्य परशु , इंद्र को पिनाक धनुष , तथा सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन को पाशुपास्त्र प्रदान करते है | 





ऐसे महादेव भोलेनाथ की हम आराधना करते है | 
 करपूर गौरम करूणावतारम. संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |. सदा वसंतम हृदयारविंदे. भवम भवानी सहितं नमामि ||


   लेखक;-शिव भक्त ___रविकान्त यादव  for more click me ;-
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रुद्राक्ष (divine garland)

१)रुद्राक्ष की उत्पत्ति ;- भगवान  शिव संसार के कल्याण के लिए कई वर्षो तक तप करते है | लेकिन लोगो के कष्ट देखकर उनका मन दुखी हो गया , जब शिव जी ने अपने नेत्र खोले तो उनकी आँखों से कुछ आँसू जमींन  पर गिरे , जहा जहा उनके आंसू गिरे  वहा वहा रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए , एक अन्य कथा अनुसार जब भगवान शिव त्रिपुर नामक असुर के वध के लिए अघोर अस्त्र का चिंतन किया तब उनके नेत्र से आंसुओ की कुछ बुँदे धरती पर गिरी यही जिनसे रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई | 



रुद्राक्ष रूद्र और अक्ष से मिलकर बना है , इसका अर्थ है रूद्र अर्थात शिव के आंसू , रुद्राक्ष एक प्रकार के फल का बीज होता है , फल के छिलके को हटाकर बीज को गले में धारण किया जाता है , रुद्राक्ष एक मुख से होकर १४ मुखी तक होता है , सभी के अपने अपने गुण है | परन्तु एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ और सबसे फलदायी माना जाता है | इसे शिव का स्वरुप माना जाता है , रुद्राक्ष का पेंड हिमालय क्षेत्र में और असम , उत्तराँचल के जंगलो में , इसके साथ नेपाल , मलेशिया व इण्डोनेशिया  में काफी मात्रा में पाए जाते है , नेपाल व इंडोनेशिया से इसका सबसे अधिक निर्यात भारत में होता है | 





२) रुद्राक्ष के गुण ;- रुद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध कर शिवलिंग या शिव प्रतिमा से स्पर्श करा धारण करना चाहिए , रुद्राक्ष धारण करने वालो को शुद्ध सात्विक रहना होता है , अंडा , मांस मदिरा से दूर रहना चाहिए , रात में सोते समय व नहाते आदि समय इसे निकाल देना चाहिए , इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है , और शिव कृपा होती है , रुद्राक्ष धारण करने से भूत-प्रेत और ग्रह बाधा  दूर होती है | रुद्राक्ष हमेशा हृदय के पास धारण करना चाहिए इससे हृदय रोग , हृदय कम्पन , ब्लड प्रेशर , आदि रोगो में आराम मिलता है , व पापो का नाश होता है | 


रक्त संचार सुचारु रहता है , व इसके चुम्बकीय क्षेत्र से शरीर को ऊर्जा मिलती है | एक से लेकर १४ मुखी तक रुद्राक्ष धारण करने से अलग अलग गुण व दैवीय शक्तिया भी मिलती है | रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन शिव पुराण , रूद्रपुराण, लिंगपुराण , व भागवत गीता में पूर्ण रूप से मिलता है | आप रुद्राक्ष की पूजा घर में भी रख कर सकते है , खंडित रुद्राक्ष को धारण या पूजा नहीं करना चाहिए | 





३) रुद्राक्ष की पहचान  ;- आज कल नकली रुद्राक्ष बनाकर भी बेचे जा रहे है | जैसे फाइबर व प्लास्टिक के जरुरत है , इनसे बचने की व पहचानने की १) रुद्राक्ष को उबाले यदि उसका रंग न निकले या कोई परवर्तन न हो तो वह असली है | 



२) यदि रुद्राक्ष पानी में डूब जाता है , तो वह असली है | 
३) रुद्राक्ष के ऊपर उभरे पठार एक रूप हो तो वह नकली है, असली रुद्राक्ष की ऊपरी सतह कभी एक रूप नहीं होती | 



४) रुद्राक्ष को सुई से कुरेदे अगर रेशा निकले तो वह असली है , और न निकले तो नकली है | 
५) सरसो के तेल में डालने पर अपने रंग से गहरा दिखे तो वह असली है | 
६) रुद्राक्ष के सामान ही एक भद्राक्ष का भी पेंड होता है , जो दीखता तो रुद्राक्ष बीज की तरह ही होता है , परन्तु यह  नकली होता है , असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक छेद होते है , जबकि भद्राक्ष में छेद कर इसे रुद्राक्ष के रूप में पेश किया जाता है | 


लेखक;-रुद्राक्ष माला हेतु_____ रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/  and on https://www.facebook.com/ravikantyadava