हमारे आज़ाद भारत का दुसरा सबसे बड़ा रास्ट्रीय पर्व गणतंत्र दिवस , एक बार फिर आ गया , हम इसकी तुलना ठीक मधुमक्खी, के छत्ते से कर सकते है , हमारा देश छत्ता , हमारे लोग मधुमक्खी , और हमारा धन, कार्य प्रणाली ,से परिणाम शहद होना चाहिए, न की विष ,....|
विष तो हमारे लोगो में होता है, वो चल जायेगा परन्तु यदि हमारे लोगो का विष , डंक शहद में उतर गया तो देश को हानि होने लगेगी, हमें प्रयास करना होगा , हमारा विष, दुर्गुण, हमारे तक ही सिमित रहे , हमें एक अच्छा समाज चाहिए और उस समाज से बनने वाला देश ,सुरज की तरह चमके , सिर्फ एक होगा,|
आप को जो भी बनना है ,बने | पर एक अच्छा आदमी -व्यक्ति बनना वही बहुत है, | हमें ठीक मधुमक्खी की तरह कार्य करना चाहिए , एकता के साथ अपने देश को संम्पत्ति दो ,शहद दो , नहीं शहद तो मोम ही दो , दो,|
कुछ नहीं तो कम से कम उन फूलो को ही दिखा दो ,जिससे शहद बनता है , |
मधुमक्खी के छत्ते में शहद किसी एक का नहीं होता , सब मधुमक्खियो का होता है , ठीक इसी तरह हमारे अच्छे कार्य हमारे देश का होगा , हमारा एकल छोटा प्रयास आदर्श स्थापित करेगा , सभी खाते -पीते और मौज करते है ,| एक संगीत भी है , अपने लिए जीये तो क्या जीये ये दिल तू जी ज़माने के लीये , |
एक फिल्म में बताया गया है , एक कीड़ा भी रेशम देकर मरता है ,देश का कर्ज है ,हम पर |
कुछ बनो या न बनो एक अच्छा नागरिक जरुर बनो ,क्यों की कल को कोई सफल व्यक्ति पूछे कि तुम कौन हो तो सीना तान कर कहना मै उस देश का जिम्मेदार नागरिक हु , जिसके लीये सम्बिधान लिखा गया है ,|
यदि सब कुछ सही, ठीक होता तो फिर तमाम समाज सेवको , संगठनों कि जरुरत नहीं होती ,पर अफ़सोस अक्सर उन्हें सुना तो जाता है , पर देखा नहीं जाता ,|जरुरत है , जो जहा हो, वो अक्सर वहा नहीं होता ,हम भारतीयों को जरुरत है , गणतंत्र दिवस पर स्वतंत्रता दिवस की महिमा , गरिमा का ध्यान रखना और स्वतंत्रता दिवस पर गणतंत्र दिवस की महिमा -उपयोगिता का ध्यान रखना होगा , ये दोनों रास्ट्रीय पर्व मौज मस्ती का पर्व नहीं है , इसके पीछे एक लम्बी कहानी और इतिहास है , इस तरह ज्ञान के मंथन से हम इन दोनों पर्व को सार्थक बना सकेगे ,और देश को एक कदम चलाने में हम सभी अपना योगदान दे सकेगे .......।
लेखक ;- देशभक्त नागरिक ....रविकांत यादव
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