प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित व्रत है |
प्रदोष व्रत हर माह शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष के तेरहवे दिन पड़ता है |
महीने में दो व साल में 24 व्रत पड़ते है , जो तेरस या त्रयोदशी को पड़ता है |
ब्रह्मा पुत्र दक्ष प्रजापति के 27 नक्षत्र कन्याओं का विवाह चन्द्रमा से हुआ , जिससे चन्द्रमा केवल रोहिणी से प्रेम करता था , जिसे अन्य पत्नियों ने दक्ष प्रजापति से कहा , दक्ष ने चन्द्रमा को कई बार समझाया पर चन्द्रमा ने नहीं समझा ,जिससे क्रोधित होकर दक्ष ने चन्द्रमा को क्षय होने का शाप दे दिया |
चन्द्रमा अपनी आभा खोने लगा जिससे चारो तरफ हाहाकार मच गया , तब ब्रह्मा ने चन्द्रमा को शिव तपस्या करने को कहा , तब चण्द्रमा गुजरात के सौराष्ट्र की जगह वर्तमान में सोमनाथ मंदिर (सोमेश्वर महादेव ) जो बारह ज्योतिर्लिंगों में प्रथम है | सोम चन्द्रमा को भी कहते है , इसी से इस ज्योतिर्लिंग तप स्थल का नाम पड़ा |
इस स्थान पर शिव चन्द्रमा के तप से प्रसन्न होते है |
व प्रदोष के समय प्रदोष से आशय शाम का समय ,क्षीण हो चुके चन्द्रमा को इसी समय शिव अपने माथे पर धारण करते है |
व उसे दोष मुक्त करते है , जिससे शिव को चंद्रमौली और चंद्रशेखर भी कहा जाने लगा , शिव चन्द्रमा को धीरे धीरे आभावान पुनः स्वस्थ्य होने का वरदान देते है | अतः इस दिन प्रदोष व्रत के समय शाम को सूर्य डूबने से ३ घण्टे पूर्व का समय को शिव का पुनः पुजा का विधान है |
प्रदोष व्रत यदि रविवार को पड़ता है , तो इसे करने से ;- सुख शांति व सदा निरोग रहेंगे |
यदि यह व्रत सोमवार को पड़ता है तो ;- इच्छा फलित होगी |
यदि मंगलवार को पड़ता है तो ;- रोगमुक्त सदा स्वस्थ्य रहेगे |
यदि बुधवार को पड़ता है तो ;- ज्ञान हेतु , व कामना सिद्ध होगी |
यदि वृहस्पतिवार को पड़ता है तो ;- शत्रु नाश होगा |
यदि शुक्रवार को पड़ता है , तो ;-सौभाग्य में वृद्धि होगी , सफलता |
यदि शनिवार को पड़ता है तो ;- जीवन में सफलता मिलेगी |
लेखक;- शिवभक्त ______रविकान्त यादव for more click me ;- http://justiceleague-justice.blogspot.in/ and https://www.facebook.com/ravikantyadava
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