हिन्दू धर्म में कहा गया है ,84 लाख जन्मो कीट ,पतंगों ,पशु ,पक्षीयो के बाद मानव का जन्म मिलता है | ऐसे में जन्म ,मरण के चक्र से मुक्ति के लिए मोक्ष का मार्ग बताया गया है , मोक्ष से आशय ईश्वर से एकाकार होना , परमानन्द (bliss ) प्राप्ति अर्थात जिस प्रकार भूखे प्यासे को कुछ नहीं चाहिए उसे केवल भोजन व जल से ही तृप्ति मिल जाती है | ठीक उसी प्रकार मोक्ष की प्राप्ति है | स्वर्ग लोक जाना भी मोक्ष की प्राप्ति नहीं माना जाता , क्यों की पुण्य क्षीण होने पर फिर मानव जीवन लेना पड़ता है |
हमारे धर्म में ;-धर्म , अर्थ , काम , मोक्ष का विधान दिया गया है | मानव जीवन के रहन -सहन , खान -पान के विकार व उत्पन्न वासनाये व्यक्ति को भटकाने के लिए ही होती है , जो उसे मोक्ष के मार्ग से दूर ले जाती है | अपने विषय में सोचते सोचते जीवन पथ पर हम कब स्वार्थी हो जाते है , हमें पता ही नहीं चलता | समय देखते देखते व्यतीत हो जाता है | जीवन के अंतिम क्षड़ो में जब व्यक्ति को आत्मबोध होता है तो वह अपने समय का सदुपयोग न कर पाने को लेकर बहुत पछताता है |
उसे जीये गये जीवन की सभी कमीया याद आने लगती है , जैसे शिक्षा , धन , अपराध , व्यसन , नशा , जीविका, नौकरी, लोभ, मौजमस्ती ,भोग-विलास , परोपकार सदुपयोग आदि आदि | सज्जन और दुर्जन अपने अपने तरीके से जीते है , बबूल ,नीम , आम , का फल व स्वभाव अलग- अलग होता है |
कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र का सदुपयोग किया , अर्जुन ने अपने गांडीव का सदुपयोग किया तब जाकर जीवन रूपी कुरुक्षेत्र पर विजय प्राप्त कर सके |
अपने धन , बल , पद, ज्ञान, सेवा जिसके पास जो सामर्थ्य है , उसे ही परोपकार की भावना बना कर कार्य करना चाहिए | पात्रता स्थिति का चयन करती है , अर्थात बुरे के संग बुरा होगा |
आइये जानते है , मोक्ष के मार्ग क्या है |
1 ) कर्मयोग ;- जैसे एक व्यक्ति नारियल का पौधा लगाता है , उसकी सेवा करता है , खाद- पानी देता है , अपने परिश्रम से उसे बड़ा करता है , फिर उससे अपनी भूख प्यास मिटाता है , यही है , कर्म योग |
कर्म योग के उदाहरण, कबीर दास जो गृहस्त जीवन जीये वो एक जुलाहा ( कपडे बुनने वाला ) थे | उनकी मृत्यु पश्चात् हिन्दू व मुस्लिम उनके शव पर अधिकार को लेकर लड़ने लगे हिन्दु कहते वो हिन्दु है | व मुस्लिम कहते वो मुस्लिम है , कहते है , जब शव से चादर हटायी गयी तो उन्हें वहा कुछ फूल मिले जिन्हे उन्होंने आपस में बांटकर अपने अपने तरीके से उनका अंतिम संस्कार कर दिया |
कर्मयोग के एक और उदाहरण एक संत हुए रविदास वो एक मोची थे , उनका कहना था , मन चंगा तो कठौती में गंगा , इनको गंगा जी ने इनकी कठौती में स्वयं दर्शन दी थी |
2 ) ज्ञानयोग ;-इसमें हमें कोई बता देता है , कि यह नारियल का पेड़ है , तथा इसका फल खाया जाता है | तथा उसके उपयोग की सारी जानकारी देता है , | इसका उदाहरण है , महर्षि वेदव्यास जिन्होंने चारो वेदो को व्यवस्थित किया , सभी पुराण लिखे महाभारत व गीता की रचना की ,तथा अपने तपोबल व योगसाधना से अमर है , व आज राज्य उत्तराखंड के बद्रीनारायण क्षेत्र में रहते है |
3 )भक्तियोग ;-इसमें हमें कोई नारियल का फल छीलकर उसका जल व गिरी हमारे हाथ में रख देता है , हमें बस उसका उपभोग करना रहता है | इसमें हमें श्रम व ज्ञान से कोई मतलब नहीं रहता , इसमें किसी की महिमा व कृपा होती है |
उदाहरण मीराबाई जो राजपरिवार से थी , कृष्ण की भक्ति में भजन गाती व नाचती रहती थी | उसका विवाह हो गया फिर भी वह पागलो की तरह बावरी नाचती गाती रहती थी , समाज में बदनामी व अपमान को लेकर उन्हें कई बार जान से मारने की साज़िश रची गयी कोसिस की गयी परन्तु उसका बाल भी बाक़ा नहीं हुआ , कहा जाता है , ऐसे में वह नाचते गाते एक दिन कृष्ण की प्रतिमा में समा गयी | भक्त प्रह्लाद व भक्त ध्रुव भी भक्तियोग के उदाहरण है |
अर्थात कह सकते है , प्रेम के मार्ग पर चलने वाले सज्जन मन,वचन, कर्म से किसी को आहत नहीं करते |
तमाम व्याधियों से पीड़ित ,यह जीवन क्षण भंगुर है | नियति को पता न क्या मंजूर हो , अतः ईश्वर से हमें सद्बुद्धि माँगना चाहिए | जीवन , संस्कार व बड़ो की सेवा का अवसर बार बार नहीं मिलता अतः नेक नीयत के साथ जीना चाहिए व सुख -दुःख में सामान मनोभाव रखना चाहिए |
लेखक;-जीवन मार्ग से ____रविकान्त यादव for more click me ;- https://justiceleague-justice.blogspot.com/
२) https://www.facebook.com/ravikantyadava
३) https://www.youtube.com/user/7777777786616263
४) https://www.youtube.com/@7777777786616263/videos
No comments:
Post a Comment