एक डॉक्टर थे जीवन में सभी कुछ सही चल रहा था , अचानक उनकी पत्नी बीमार रहने लगी उनकी पत्नी धार्मिक प्रविति की थी , लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया ।
धीरे धीरे रोग बढ़ने लगा दवा चलती रही आखिरकार पता चला उनकी पत्नी को कोई असाध्य रोग हो गया है ।
समय के साथ स्थिति गंभीर हो गयी , डॉक्टर साहब परेशान ,पत्नी के पूजा घर में गए व भगवान् से बोले हज़ारो लाखो रोगियों को मैं देखता हु , तू होगा भगवान् धरती का भगवान् मैं हु ।
दवाओ पैसो का खेल चलता रहा परंतु डॉक्टर साहब अपनी पत्नी को नहीं बचा सके ।
शमसान पर उन्हें जलते अंगारो के बीच कोई पुराना मित्र मिल गया वो भी किसी अन्य के साथ आया था ।
दोनों ने एक दूसरे की आँखों में आँसुओ को बहते देखा पर चाहकर भी कोई बात नहीं हुई ।
अब डॉक्टर को जब भी अपनी पत्नी की याद आती है डॉक्टर उसी पूजा घर में जाता है व शिकायती लहजे में कहता है , तू मेरी जिन्दगी बदल सकता है परंतु मेरा रास्ता नहीं ॥।
सही है "समय " आदमी , जरुरत, और जगह तीनो को बदल देता है ।
लेखक;- मरीज़__ रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.in/
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