Wednesday 15 February 2017

ग्रहो की चाल (speed of planet )

सूर्य से  दुरी के आधार पर क्रम से निम्न ग्रह  है , सारे दिनों  के नाम भी इन्ही ग्रहो के नाम पर है । 
बुध (mercury  );- को हिन्दू धर्म में चाँद का बेटा बताया गया है जो चाँद के बाद क्रम में है , ये सूर्य के निकटम है  व सबसे छोटा ग्रह है , हिन्दू धर्म में बुध को बुद्धि का देवता बताया गया है । शायद इसी से इसका नाम बुध है , इसका वायुमंडल नहीं है , तापमान ४५० डिग्री व १७० डिग्री तक कम हो जाता है । यहाँ मानव नहीं रह सकते यहाँ ८७.९७ (लगभग ८८ दिन ) का एक साल होता है । 

शुक्र (venus ) ;- यहाँ एक वर्ष  २२५ दिन का है , हिन्दू धर्म में शुक्र को राक्षसो का गुरु कहा गया है , चन्द्रमा के बाद इसकी चमक के कारन इसे भोर का तारा भी कहा जाता है ,  आकार प्रकार में इसे पृथ्वी जितना होने पर इसे पृथ्वी की बहन कहा जाता था ,।  यहाँ 95 % कार्बनडाई ऑक्साइड  व नाइट्रोजन व सल्फर के बादल है । 
व 350 km से तूफ़ान चलते है , इसका तापमान ४६० डिग्री सेंटीग्रेड है , जो अधिकतर यही सिमित है । 



पृथ्वी ( earth ) ;- ३६५ दिन में सूर्य का एक चक्कर लगा लेती है , यह वह गृह है जहा हम मानव ,पशु ,पक्षी हरियाली, पानी व हवा रहती है , जहा हम मटर गस्ती करते है । 

मंगल (mars ) ;- हिन्दू धर्म में इसे पृथ्वी का बेटा  बताया  गया है , ये पृथ्वी का आधा है , व यहाँ कभी जीवन था या बसाया जा सकता है , यहाँ 687 दिन का एक साल होता है , यहाँ न्यूनतम तापमान माइनस  -125 डिग्री है , व गर्मी में २० डिग्री सेंटीग्रेड है । 
इसकी सतह लाल है ,  जो वहा के लोहे के धुल में oxygen से क्रिया करके बनी है , ऑक्सीजन व लोहा का होना , जो प्रमाण है , कभी वहा सभ्यता  व जीवन था , वहा रेडिएशन भी मिल रही है , जो दर्शाता है शायद वहा हाइड्रोजन बमो का युद्ध हुआ हो , वहा गया रोवर oppourtunity  अजब तथ्य खोज व फोटो भी भेज रहा है ।
वह एक रोवर के साथ वैज्ञानिक भी है । कभी मंगल पर नदिया थी , जो शायद किसी विनाशक  हथियार से सुख गयी हो अभी भी वहा एलियन के बनाये यंत्र भी दिखे है , तथा तमाम मानव मूर्ती व पत्थर कला भी दिख रही है , एक खबर अनुसार ग़िज़ा के पिरामिड मंगल ग्रह  के एलियन ने बनाया था , तो फिर आज मंगलवासी गए कहा ?? फिलहाल जो भी हो आने वाले ५-१० वर्षो में सारा कुछ स्पस्ट  हो जायेगा जैसा ठीक the  martian फिल्म में दिखाया गया है ।  मानव जीवन के अनुकूल यहाँ बर्फ के काफी भण्डार दबे पड़े है ।  

वृहस्पति (jupiter ) ;- सौरमंडल का पाँचवा व सबसे बड़ा ग्रह है , इसके कुल ६७ चन्द्रमा है जो की उल्का पिंड है ।  हिन्दू धर्म में इसे देवताओ के गुरु बताया गया है , वैसे यह ग्रह गैसों का ग्रह है , जहा हाइड्रोजन , हीलियम , मेथेन आदि है । ठोस रूप नहीं है , इसका तापमान बादलो में माइनस १४५ डिग्री सेंटीग्रेड है व केंद्र में सूर्य से भी गर्म २४००० डिग्री सेंटीग्रेड है जो सूर्य से भी गर्म है , नासा अनुसार यह वृहद् है , यह सूर्य का चक्कर नहीं लगाता  वृहद् स्वरुप ही इसका नाम वृहस्पति है । सूर्य व वृहस्पति space अंतरिक्ष में point कर चक्कर कर घूम रहे है । 
शनि (saturn );- दूसरा सबसे बड़ा ग्रह  है , यह भी गैसों का ग्रह है , हाइड्रोजन ९६%  हीलियम ३% मेथेन ४% प्रमुख है , 10759 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाता है , लगभग धरती के (29.5 साल में ) इसका तापमान -१७८ डिग्री सेलसियस है , व बीच का तापमान -१२७ से -२८ डिग्री सेलसियस व नीचे के बादल 57डिग्री सेलसियस है । हिन्दू धर्म में शनि सूर्य का पुत्र है , जिसकी दृष्टि खतरनाक मानी जाती है जो एक गुरु के रूप में है । 


अरुण (uranus );- तीसरा सबसे बड़ा घेरे वाला ग्रह , सबसे ठंडा ग्रह है इसका वातावरण वृहस्पति व शनि जैसा ही है , बिना सतह के हीलियम , मेथेन प्रमुख गैस है , हिन्दू धर्म में इन्हें सूर्य के सारथी है , पृथ्वी अनुसार 84 साल में सूर्य का एक चक्कर लगाता , यह बर्फ का ग्रह है , ऊपरी सतह पानी व अमोनिया की है एक  ठंडा ग्रह है , न्यूनतम -२२४डिग्री सेलसियस और व दिन में अधिकतम 577 डिग्री सेलसियस है , यहाँ भी मंगल को छोड़कर मानव जीवन नहीं बसाया जा सकता । 


वरुण (neptune );- हिन्दू धर्म में ये जल व समुद्र के देवता है । यह चौथा सबसे बड़ा ग्रह है व सूर्य से सबसे दूर है , । यह सूर्य का एक चक्कर धरती के नियमअनुसार  164.8  साल में लगाता है । 
यह  बर्फ का ग्रह है , इसकी वजह हाइड्रोजन , हीलियम, हाइड्रोकॉर्बन , व nytrogen है । 
जो पानी , अमोनिया , मेथेन की वजह से बर्फ है इस ग्रह पर का तापमान -218 है व अधिकतम १० डिग्री सेलसियस से तनिक है । इसकी निश्चित सतह नहीं है । 
यहाँ ८०% हाइड्रोजन , १९% हीलियम , थोड़ा पानी और मेथेन है । 


लेखक;-दिनों के नाम  से _______रविकान्त यादव for more click ;- https://www.facebook.com/ravikantyadava
http://justiceleague-justice.blogspot.com/








No comments:

Post a Comment