१) परशुराम ;- इस युग के ही नहीं सतयुग , त्रेता, द्वापर , के भी महान नायक , इन्होंने द्वापर युग में अपना सब कुछ ब्राह्मणों को दान दे दिया व महेंद्र गिरी पर्वत पर तपस्या को चले गए , अंत में द्रोणाचार्य पहुचे और दान देने की गुजारिश की परशुराम जी ने कहा अब मेरे पास इन अस्त्र शस्त्र के सिवाय कुछ भी नहीं बचा है ,
चतुर द्रोणाचार्य ने उनसे उनके अस्त्र शस्त्र व उनकी विद्या दान में माँग ली ।
आज भी परशुराम महेंद्र गिरी पर्वत पर तपस्या कर रहे है ।
२) श्रीकृष्ण ;- इस युग के महान नायक या यु कहे ये इन्ही का युग था १२५ साल की उम्र तक धर्म , सत्य ,न्याय हेतु सब कुछ किया ,गीता ज्ञान दिये , व अर्जुन , सुदामा , अभिमन्यु जैसे सखा और शिष्य भी बनाये , ये अर्जुन और दुर्योधन दोनों के संबंधी थे , दोनों को सामान अवसर और ताक़त देते हुए महाभारत में एक ने उनकी सेना मांग ली दूसरे अर्जुन ने स्वयं उन्हें , परंतु बिना अस्त्र शस्त्र के भी धर्म को विजय दिलाये , इनके सुदर्शन और महान नीति का तोड़ संभव नहीं था ।
३) भीष्म पितामह ;- माता गंगा और शांतनु के पुत्र परशुराम के, द्वापर के पहले शिष्य , इच्छा मृत्यु का वरदान होने से इन्हें पराजित करना असंभव था , पांडव सेना को प्रतिदिन दस हज़ार लोगो को मारते थे , किसी को भी मारने में सक्षम।, परंतु दुर्योधन आदि कुटुंब से विवश रहते थे ।
४)अर्जुन;- बिरला धनुर्धारी , द्रोणाचार्य से इंद्रलोक से , शिव से सभी दिव्यास्त्रों का धारक कर्म व वचन से व वनवास तक पूरी शिद्दत से निभाने वाले , महाभारत में पांडव की तरफ से सबसे बड़े योद्धा धनुर्धारी ।
५)कर्ण ;- एक राजपुत्र व सूर्यपुत्र होने के बाद भी सूतपुत्र निम्न जाति सूतपुत्र का अभिशाप लेकर जीना परशुराम के शिष्य व विजय धनुष के धारक जिसे इन्होंने केवल अर्जुन के साथ युद्ध में प्रयोग किये , विजय धनुष को मात्र थाम लेने से उसे धारक को पराजित करना नामुमकिन होता था , जो इन्हें देव परशुराम ने दिया था , अभाव में भी अपने पराक्रम व योग्यता से महान दानवीर कहलाये , श्री कृष्ण भी इनसे प्रभावित थे , युद्ध में अर्जुन के विरुद्ध अश्वसेन नाग के सहयोग को इन्होंने ठुकरा दिए व सच्चे योद्धा कहलाये ।
७)अभिमन्यु ;- अर्जुन के पुत्र श्री कृष्ण के शिष्य सबसे कम उम्र का योद्धा , एक खास तरह की धनुर्विद्या में महारत पांडवो का दूसरा सबसे बड़ा धनुर्धारी , इन्हें चंद्रमा के पुत्र का अवतार भी कहा जाता है , १६ साल की उम्र में महारथियों द्वारा घेर कर रणभूमि में शहीद ।
८) महर्षि वेद्व्यास ;- सत्यवती के पुत्र व भीष्म पितामह के बड़े भाई सभी वेदों की व्यवस्था करने से इनका नाम वेद व्यास पड़ा , गीता की भी रचना की , अपने तपोबल व योग साधना से आज भी जीवित है ।
लेखक;- नायको हेतु ______रविकान्त यादव for more click ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava
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