Tuesday, 31 January 2017

सरकती मौत (death invitation)

२० नवम्बर २०१६ को कानपूर उत्तर प्रदेश में इंदौर पटना एक्सप्रेस दुर्घटना ग्रस्त १५० मौते ५०० घायल परंतु यह नयी बात नहीं है । आईये समीक्षा करे 
भारत डीजल रेल इंजिन का एशिया में सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है । 
व २५० से २७५ इंजन प्रतिवर्ष बनाता है ,जो यूपी के वाराणसी में है । 
भारत विश्व का ७ वा सबसे बड़ा देश भारत में अभी तक कुल 12617 यात्री रेले  व 7421 भांडे वाली ट्रेने प्रतिदिन चलती है , व विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है । 

सबसे ज्यादा रेल हादसे क्षेत्र फल के हिसाब से भी यही होते है , हिंदुस्तान में एक रिपोर्ट अनुसार २०१४ में देश भर में ncrb के अनुसार 28360 कुल एक्सीडेंट हुए और इससे 25006 मौते हुई और कुल 3882 घायल हुए इसमें रेलवे क्रासिंग दुर्घटनाये भी सामिल है । 
पिछले ६ साल 2009 से 2015 तक कुल 803 दुर्घटनाये हुई कुल 620 मरे व 1855 बुरी तरह घायल हुए 47 प्रतिसत घटनाये रेल को पटरी से उतर  जाने से हुई । 

अब यहाँ सरकार मुवावजा देकर कन्नी काट लेती है । अगर मुवावजे का आधा भाग भी पटरियों पर खर्च हो तो ये हादसे रुक सकते है , जरुरत है पटरियों को आधुनिक करने की और आधुनिकता अपनाने की । 

अगर आप रेल से चलते है तो अच्छी रेलो में भी आप गाव के महिलाओ के सुप की तरह हिलते रहेगे इत्तेफ़ाक़ डिब्बे कभी भी ४५ डिग्री के कोण बनाते रहेगे रेलवे से आग्रह है केवल पैसा न कमाए जनता की सुरक्षा पर भी खर्च करे । 

हम ये भी जानते है अगला रेल हादसा शीघ्र होगा , अगर हम रेल यात्री है तो अंग्रेजो के ज़माने की जर्जर हो चुकी पटरियों पर आपकी हमारी कभी भी मौत हो सकती है । 
रेल वही पटरी वही परंतु जगह जरूर बदल सकती है । 
आधुनिकता व बुलेट ट्रैन के युग में कुछ नया सोचने की जरुरत है । 
अतः कहना पड़ेगा रेल दुर्घटनाये कोई संयोग दुर्योग , इत्तेफ़ाक़, या आकस्मिक नहीं है बल्कि एक कर्तव्यहीनता , लापरवाही , से एक देश एक जनता एक परिवार की हत्या है । 
इस पक्ष में कारगर कदम की बहुत बहुत जरुरत है । 

लेखक;- रेलयात्री _______रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.in/ and https://www.facebook.com/ravikantyadava




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