Friday 3 February 2017

हैलो डॉक्टर ( ayurveda help with self treatment )


आयुर्वेद में त्रिदोष ;- वात , पित्त, कफ , अनुसार ही इलाज़ होता है , 

वात रोग ;-जिसे वायु रोग भी कहते है , आशय भीतरी हवा जिससे अनेक रोग होते है , आयुर्वेद अनुसार वात रोग 80 प्रकार का होता है , इनमे अधिकतर पेट से सम्बंधित रोग आते है , जैसे एसिडिटी , भूख न लगना , दस्त , गैस,  हैजा ,आंव , पेट में कीड़े , अपच , अजीर्ण , कब्ज़ , भोजन का ठीक न पाचन , चर्म रोग आदि ही वात  रोग है , ।

इससे उपजने वाले रोग १) आमवात ;- इसमें बुखार , जोड़ो में दर्द , हाथ पैर  अकड़न , हड्डी में पानी , जोड़ दर्द , २) संधिवात  ३) गाउट ;- पथरी बनना ४) कमर ह्रदय की मांसपेशी में दर्द ५) गठिया ६) पेट फूलना , गैस , सर दर्द , शरिर दर्द , डकारे , हिचकी , आदि । 

वात रोग के इलाज़ ;- फल रस , जैसे अंगूर , मौसमी , संतरा , निम्बू तथा शहद दिन में चार बार एक चम्मच लेना चाहिए तथा हड्डी कमजोर न हो इसलिए  भोजन में पालक , दूध , गाजर , टमाटर , खाना चाहिए , कच्चा लहसुन खाये , मेथी दाना अजवायन ले , दोपहर छाछ पिए । 
सुबह टहले तिल तेल से मालिश ले , धुप में मालिश अति उत्तम , समय पर भोजन ले तथा कुछ दवाये ले जो है ;-वातान्तक वटी , वातनाशक चूर्ण , ३) कुलगवात ( सायटिका ) इसके साथ परहेज तली  चीजो से दूर रहे ४) वातनासक काढ़ा पिए ५) गठिया (संधिवात );-वातनाशक तेल  ७) वायगोला का दर्द ;- वात हेतु तेल लहसुन का उपयोग करे । 


३)पित्त रोग ;- चिड़चिड़ा होना पित्त अर्थात पित्ताशय से जुड़ा है जो वहा जो एक रस निकाल खाना पचाता है , । यह जो ज्यादा या कम न हो , पित्त रोग में शरीर गर्म रहता है , इस रोग में पीलिया हो सकती है , या होती है , छाती गले पेट में जलन , जीभ पर छाले ,खट्टी डकारे , सर दर्द , भूख न लगना , 
आँखों में जलन । 

पित्त रोग का इलाज़ ;- शतावर , त्रिफला , आंवला चूर्ण , पिप्पली , गिलोय रस , आवला मुरब्बा , काढ़ा , नीबू पानी पिए , खुश रहे , योग करे , 

कारण ;-या परहेज करे ,शराब, मांस , अंडा , तम्बाखू , तले भोजन, तेज मिर्च मशाला , कम पानी पीना , आदि से  पित्त की समस्या उत्पन्न होती है । 




कफ रोग ;- इसमें मोटापा रहता है , व सुस्ती रहती है मुह में मीठे का स्वाद रहना त्वचा पीला  होना, शरीर में ठंडापन , खुजली , पेशाब, व पशीने से जुडी समस्या , साइनसाइटिस , कोल्ड ( ठंड ) सीने मुह से बलगम निकलना , बाहरी संक्रमण व प्रतिरक्षा तंत्र कमजोर होना । 
अस्थमा , गले में खराश , खाँसी , डाईबिटिज , जैसी समस्या आदि ।


कफ रोग रोग के इलाज़ ;- गर्म कपडे पहने ,गर्म आयुर्वेदिक काढ़ा पिए , शहद, दालचीनी, अदरक, लौंग, मुलेठी, तुलसी की चाय पिए ,
आसव व अरिष्ट दवा भी फायदेमंद है । 
यूकिलिप्टस तेल व पीपर मिंट तेल की दो दो बूँद पानी में डाल भांप ले इससे तेज़ी से राहत मिलती है , मसाला न खाये , विटामिन A , सी , और E ले । 
खासी , जुकाम, में सितोपलादि चूर्ण शहद के साथ ले । 

लेखक;- स्वास्थ्य हेतु ......... रविकान्त यादव for more click me ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava
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