Friday 12 October 2018

संगत की रंगत (friendship)


कहते है , एक साधारण लोहा पारस के संपर्क में आने पर सोना बन जाता है , | एक साधारण सुहागे के संपर्क से सोना और भी चमकदार बन जाता है | 
दुर्वा घास ,कभी नष्ट  नहीं  होती वह जमीन से स्वतः पुनः उग आती है , कथा है , जब समुद्र मंथन हो रहा था ,तब अमृत कलश को घास पर ही रखा गया था , शायद उस अमृत कलश का कुछ अंश घास को मिल गया | 




एक साधारण जल का महत्व चन्दन के संगत से सौ गुना बढ़ जाता है | वर्षा की एक बूँद सीप के संगत  में मोती बन जाती है | 
नीम की डाल व फूलो से बना शहद मीठा होते हुए भी कड़वा ही लगेगा | 
कहावत है , काजल की कोठरी में कैसो ही सयानो जाय एक लीक काजल की लागे है तो लागे है | 
कबीर का एक दोहा ;- जात न पूछो साधु की , पूछ लीजिये ज्ञान | 
                                मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान || 



अच्छे सच्चे को छोड़ अन्य मित्रता सदा बराबरी वालो से ही करे , परन्तु अच्छाई सच्चाई एक दिन में नहीं जानी जा सकती मित्र ज्ञान , पद , धन व सबसे महत्वपूर्ण प्रतिष्ठा में बराबरी का हो अन्यथा यह मित्रता ज्यादा दिन नहीं टिकती | मित्र छोटा होगा तो ईर्ष्या का भाव जन्म लेने लगेगा यदि बड़ा होगा तो आपको महत्त्व नहीं देगा||


 सच्चा मित्र आपको सम्बल देगा , अतः संगत सोच समझ कर करे , एक मित्र कृष्ण सा होना चाहिए जो युद्ध न लड़ते हुए भी आपकी जीत पक्की कर दे और एक मित्र कर्ण सा हार जानते हुए भी आपका साथ न छोड़े || 


    लेखक;- संगत से ____रविकान्त यादव 
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