ये रासायनिक उर्वरको के प्रयोग से ही हमें लीवर ,किडनी ,ह्रदय , पेट के रोग समय से पहले आँख , दांत , बाल का गायब होना व तमाम प्रकार के कैंसर का कारक है |
ये रासायनिक उर्वरक ही है जो मृदा की उर्वरा शक्ति कम करती है | युरिया ,डाई , पोटास से किसान के मित्र कहे जाने वाले केंचुवे मर जाते है |ये विडम्बना ही है ,कि विश्व का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश में , विश्व के सबसे बड़े पशुपालक देश में हम मुर्ख भारतीय विदेशो से रासायनिक उर्वरक आयात करते है | हमें जापान से सीखना होगा जो भारत से बहुत छोटा देश है , परन्तु विश्व में आर्गेनिक खाद (जैविक खाद ) बनाने व एक्सपोर्ट करने में विश्व में पहला नंबर रखता है |
यहाँ बताना चाहुगा भारत भैस के मांस का सबसे बड़ा निर्यातक है , व गाय के मांस का पांचवा (5 th ) सबसे बड़ा निर्यातक है | यदि हमारी सरकार गाय भैस के गोबर को ३ रूपये किलो भी ले (ख़रीदे ) तो गो हत्या व भैस हत्या में कमी आ सकती है | परन्तु अफ़सोस शहरो में अधिकतर गोबर को नालियों में बहा दिया जाता है | व विदेशी हमें पिछड़ा या विकाशसील देश कहकर खुश होते है |
भारत विश्व में सबसे ज्यादा हिन्दू मंदिरो वाला देश है, यहाँ प्रतिदिन टनो फूल, पत्तिया, माला आदि देव देवी को अर्पित किया जाता है , जिसे या तो कूड़े में फेक दिया जाता है या गंगा में बहा दिया जाता है , जो नदी को प्रदूषित ही करेगा | इससे फूल पत्ती व छिलको आदि से कम्पोस्ट उर्वरक बनती है , या बनाई जा सकती है | जो बाज़ार में 50 रूपये किलो व सबसे बड़ी e कॉमर्स कंपनी अमेज़न पर 150 रूपये किलो तक बिकती है |
जागरूकता व शिक्षा के अभाव में देश गरीब (पिछड़ा ) या विकाशसील नहीं रहेगा तो और क्या रहेगा ? मृदा परीक्षण में बहुत जरुरी हो तो हम जैविक खाद को 50 % रासायनिक खाद में मिलाकर फसलों को दे सकते है |
लेखक;-खेती से......... रविकान्त यादव
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