Monday 27 February 2017

अधिकार -अभिवादन (Right and Salutation)


मान सहित विष पीये ,शम्भू भये जगदीश । 
बिन मान अमृत पीये राहु कटाये शीश ॥ 


अपनी टूटी कुटिया में भी अतिथि ,लोक कल्याण हेतु , जग धर्मार्थ हेतु मेहमान लोग प्रंशनीय पूजनीय होते है , अनाधिकारी दंडनीय होते है । 

आवत ही हरषे नहीं ,नैनन नहीं स्नेह । 
तुलसी तहा न जाइये कंचन बरसे मेह ॥ 

जहा जाने पर हर्ष प्रेम स्नेह नहीं ,वहा भले ही कितना धन बरसे नहीं जाना चाहिए ॥। 

ये मान  ही है , जहा श्रीराम शबरी के जुठे बेर खाते है , तथा लक्षमण मुह बिचकाते है ।
 संसार कस्ट ,देव प्रार्थना पर शिव हलाहल विष ग्रहण कर जाते है, कृष्ण गरीब विदुर जी के घर केले के छिलके खा जाते है , परंतु कही कोई शिकायत नहीं करते सुदामा का चरण बंदन कर तीनो लोक देने पर उतारू हो जाते है , व फिर भी बल्कि भक्तो के एहसान के ऋणी हो जाते है ,। 

ये मान ही भक्त भगवान् के बीच फर्क मिटा देता है , ये मान ही कौन किसका भक्त है , इसमें असमंजस उत्पन्न कर देता है । 

 वही कितनी भी वैभवता हो , अनैतिकता , गरिमा , अधर्म  का उल्लंघन करने पर व्यक्ति वांछित वस्तु का अधिकारी नहीं होता है । तथा उसकी वर्तमान पात्रता के साथ संचित मूल्य प्रतिष्ठा भी चली जाती है । 
रावण , कंस , दुर्योधन, इसके उदहारण है , । 
अतः मान सहित जीये , स्नेह हेतु प्रेम सहित ही कही जाये ॥ 

लेखक ;- प्रेम सहित ___रविकान्त यादव for more click ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava
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प्रसिद्ध गायक (legendary singer ) top 3 song


मोहम्मद रफ़ी ;- तू गंगा की मौज , इस रंग बदलती , ये दुनिया ये महफ़िल 

किशोर कुमार ;- कहना है कहना है , पल पल दिल के पास , फूलो के रंग से 

मुकेश ;- दुनिया बनाने वाले , जे हम तुम चोरी से , मेहबूब मेरे मेहबूब मेरे 

कुमार सानु ;- मेरा दिल भी कितना पागल है , सोचेगे तुम्हे प्यार करे , कुछ  ना कहो , एक लड़की को देखा तो ऐसा 

उदित नारायण ;- जादू तेरी नज़र , पहला नशा , परदेशी परदेशी जाना नहीं 

सोनू निगम ;- मुझसे नाराज़ हो तो , मुझे रात दिन बस मुझे , अभी मुजमे कही बाकी ,

female singer ;-


लता मंगेशकर ;- मिलो न तुम तो 
आशा भोसले ;- अभी ना जाओ छोड़ कर 
कविता कृष्णमूर्ती ;- क्यों नए लग रहे प्यार हुआ चुपके से 
साधना सरगम ;- क्या मौसम आया है 
श्रेया घोसाल ;- मनवा लागे रे , बरसो रे मेघा मेघा 
अलका याग्निक ;- तू शायर है , 

इसी तरह sabsongs.net या sabsongs.com पर जैसे सांग ऑफ़ लता मंगेसकर लिख कर सभी गाने खोज सकते है और चुन कर download कर सकते है । 

लेखक ;- फैन ____रविकान्त यादव for more click ;- https://www.facebook.com/ravikantyadava
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Friday 24 February 2017

मानव फितरत (human nature )


लघुता से प्रभुता मिले, प्रभुता से प्रभु दूर । 
चींटी चीनी ले चली हाथी के सिर  धूर ॥ 


हम मानवो की फितरत ही ऐसी है , जो सांसारिक वर्चस्व है उसे ही चाहिए बेअर्थ , फिर अपने को भगवान् से भी बढ़कर हो जाते है , नम्रता , विनम्रता , ख़त्म किसी को जान से मारने तक की हैसियत लेकर भगवान को चुनौती देने से भी नहीं चूकते । 


ईश्वर ने हमें प्यार दिया लेकिन हमने नफरत पाल ली । 
ईश्वर ने हमें संतोष दिया परंतु हमने दौलत सोहरत की भूख पाल ली, क्यों कि जब मै था तो हरि नहीं , जब हरि है , तो मै नहीं । 


ईश्वर ने हमें कर्म दिया परंतु हमने उससे अधर्म पाल लिए । 
ईश्वर ने हमें ज्ञान दिया परंतु उससे हमने स्वार्थ पाल लिये । 
ईश्वर ने हमें धन दिया परंतु उससे हमने गुरुर पाल लिए । 
ईश्वर ने हमें हित दिया ,परंतु हमने लोगो का अहित पाल लिया । 
ईश्वर ने हमें शक्ति दी तो हमने लोगो का दमन पाल लिया । 
ईश्वर ने हमें प्रकृति , संसार , व शरिर  दिया परंतु उसे हमने बेचना सीख लिया । 
ईश्वर ने हमें सज़्ज़नता दिया परंतु हम दुर्जन हो गए ,। 
दाता ऊपरवाला है , परंतु चुनने वाले ग्राही हम हमारा अहम् है । 

 किसी युग में भस्मासुर था , शिव को तप  प्रसन्न किया ,वर स्वरुप वह जिसे सर पर हाथ रखे  वो  भस्म हो जाये ,

 अब क्या उसे ही शिव बनना था , शिव को भस्म करने चल पड़ा शिव भागते फिरे , भगवान विष्णु के हस्तक्षेप से जान बची भस्मासुर स्वयं मारा गया , । 
जरा  विचारिये वर्तमान समय उस समय से युगों हजारो गुना आगे है । 
यानी वर्तमान समय में उस समय से हज़ार गुना ज्यादा अधर्म है । 


लेखक;-मानवता हेतु ______रविकान्त यादव for more click ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava
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Sunday 19 February 2017

सोशल मीडिया (an illusion and gyp persons )

सोशल मीडिया अर्थात facebook , twitter , google + , linkedin , instagram , whatsapp , pinterest ,
आदि पर वर्तमान समय में किसी पर विश्वास न करे , जब तक उससे मिल न ले वो भी बहुत संभल कर , 
fake id की तमाम भरमार है , तमाम लुटेरे भेड़िये  स्वार्थ सिद्धि के लिए आतुर रहते है , । 
मुझे एक बुजुर्ग ने बताया था किसी को आप एक दिन में नहीं पहचान समझ सकते , फिर तो इन सोशल मीडिया वालो की एक ही id और intro रहती है ।

प्रतिदिन औसतन 30000 वेबसाइट अकाउंट हैक होते रहते   है , फेसबुक पर 60000 हैकर प्रतिदिन हैक या हैकर सक्रीय रहते है । इसे आम भाषा में cyber crime कहते है । 

यदि आपकी id या ग्रुप को हैक या अश्लील फोटो या आपको बदनाम करने की कोसिस है तो , cybercell.mumbai@mahapolice.gov.in  पर या cybercrimeps@ksp.gov.in पर email  कंप्लेन करे । हैक से बचने के लिए पासवर्ड  save न करे , इसी तरह फेसबुक पर जाकर  रिपोर्ट obtion के जरिये group और किसी की निजी id दोनों की कंप्लेन कर सकते है । 
सोशल मीडिया ज़माने को  जानने पहचानने के लिए है । उस आभासी ज़माने दुनिया का अंग बनने के लिए नहीं । 

लेखक;- सोशल मीडिया उपयोगी_____ रविकान्त यादव for more click me ;- https://www.facebook.com/ravikantyadava
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Wednesday 15 February 2017

धार्मिक महत्व ( religious importance )


1)मंदिर ;- हिन्दू धर्म का पवित्र स्थान , जिसका शाब्दिक अर्थ मन का दर या द्वार होता है , देवी देव की प्रतिक चिन्ह या प्रतिमा स्थापित होती है , इसके गुम्बज़ उचे होने का वैज्ञानिक आधार प्रतिध्वनि द्वारा प्रार्थना आप तक मिले  भला हो , हिन्दू धर्म में मंदिर का वैज्ञानिक महत्त्व होता है , चाहे मुख्य कपाट  पूर्व दिशा की तरफ खुले , या शिवलिंग मुख उत्तर दिशा की तरफ हो , हिन्दू धर्म सबसे प्राचीन धर्म है ।




२)मस्जिद ;- यह स्थान मुस्लिम  बन्धुवो का पवित्र स्थान होता है , । इनका सिद्धांत है , ईश्वर एक है , अतः कोई   प्रतिमा नहीं होती  , प्रार्थना करना ही मुख्य मकसद होता है , यहाँ भी प्रतिध्वनि गूँजती है । 


३)गुरुद्वारा ;- यह शिख  धर्म का  पवित्र स्थान है , किसी भी धर्म , जाति , व्यक्ति की सेवा पर ये लोग अति ध्यान देते है , यहाँ गुरुग्रंथ साहिब रखी  रहती है , साथ में अन्य गुरुओ के चित्र लगे रहते है , व ह्रदय को छु लेने वाला भजन चलता रहता है , यहाँ भी प्रतिध्वनि गूंजती है । 


 ४) चर्च ;- यह ईसाइयो का पवित्र स्थान होता है , प्रभु यशु सलीब पर रखे दीखते है , उनके सम्मान में शांति रख मोमबत्ती जला प्रार्थना करते है । 





५) बौद्ध पगोडा ;- बौद्ध धर्म का पवित्र स्थान , गौतम सिद्धार्थ की एकमात्र प्रतिमा होती है , जिन्हें एशिया का प्रकाश भी कहते है , एक शिक्षक थे , बौद्ध धर्म हिन्दू धर्म की तरह मंदिर होता है 
। जिसे मठ या पैगोडा भी कहते है , जहा बिना बाल के सन्यासी रहते है । 


६)जैन डेरासर ;- जैन धर्म का पवित्र स्थान एक तरह का मंदिर ही है , जिसे डेरासर कहते है , यहाँ मात्र भगवन अरिहंत की प्रतिमा होती है , ये भगवान् पर नहीं पूर्ण मानव होने पर विश्वास व कर्म करते है , इनके पहले भगवान  या पूर्ण महापुरुष अरिहंत व २४ वे व आखिरी भगवान महावीर (जिन्हें वर्धमान भी कहते है ) यहाँ भी आवाज़ की धार्मिक शब्दो की प्रतिध्वनि होती है । 


७) शंख ;- हिन्दू धर्म में अधिकतर देवो के हाथ में विशेषतर  विष्णु के हाथ में  शंख दर्शाया गया है । 
इसकी आवाज़ मात्र से पवित्रता फ़ैल जाती है , इसे घर में रखना अति शुभ माना जाता है , इसमें जल रख कर देव अर्पण पर देव अति प्रसन्न होते है , शिवाय शिव के क्यों की शिव जी ने शंख चुड का वध किया था । 
साधारण जल भी इसमें रखने पर गंगाजल तुल्य हो जाता है , इसकी आवाज़ को सृस्टि के निर्माण में बनी आवाज़ ॐ से जोड़ा जाता है । 


 ८)श्याम कर्ण घोडा ;- अति उत्तम ऐसे घोड़े का शरीर सफ़ेद और कान काले होते है , प्राचीन समय में इसे राज्य व श्रीराम अश्वमेघ यज्ञ में छोड़ा गया था अति दुर्लभ वर्तमान समय में शायद ही मिले । 


९) तुलसी ;-हिन्दू धर्म में इसका विशेष स्थान है , भगवान् विष्णु से जुडी व प्रिय आहार अर्पण , इसके पत्ते बहुत गुणकारी होते है , व रोग नाशक होते है , । 
यह २४ घंटे ऑक्सीजन प्रदान करती है , इसे घर में लगाने पर सुख शांति रहती है । नकारात्मक ऊर्जा व हानिकारक गैसों जैसे कार्बोनमोनो डाईऑक्साइड  , कार्बन डाइऑक्साइड , सल्फर डाइऑक्साइड , आदि को सोख लेती है , धार्मिक, पौराणिक,और वैज्ञानिक आधार की वजह से उत्तम पौधा है ॥ 


लेखक;- धार्मिक ______रविकान्त यादव for more click ;- https://www.facebook.com/ravikantyadava
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ग्रहो की चाल (speed of planet )

सूर्य से  दुरी के आधार पर क्रम से निम्न ग्रह  है , सारे दिनों  के नाम भी इन्ही ग्रहो के नाम पर है । 
बुध (mercury  );- को हिन्दू धर्म में चाँद का बेटा बताया गया है जो चाँद के बाद क्रम में है , ये सूर्य के निकटम है  व सबसे छोटा ग्रह है , हिन्दू धर्म में बुध को बुद्धि का देवता बताया गया है । शायद इसी से इसका नाम बुध है , इसका वायुमंडल नहीं है , तापमान ४५० डिग्री व १७० डिग्री तक कम हो जाता है । यहाँ मानव नहीं रह सकते यहाँ ८७.९७ (लगभग ८८ दिन ) का एक साल होता है । 

शुक्र (venus ) ;- यहाँ एक वर्ष  २२५ दिन का है , हिन्दू धर्म में शुक्र को राक्षसो का गुरु कहा गया है , चन्द्रमा के बाद इसकी चमक के कारन इसे भोर का तारा भी कहा जाता है ,  आकार प्रकार में इसे पृथ्वी जितना होने पर इसे पृथ्वी की बहन कहा जाता था ,।  यहाँ 95 % कार्बनडाई ऑक्साइड  व नाइट्रोजन व सल्फर के बादल है । 
व 350 km से तूफ़ान चलते है , इसका तापमान ४६० डिग्री सेंटीग्रेड है , जो अधिकतर यही सिमित है । 



पृथ्वी ( earth ) ;- ३६५ दिन में सूर्य का एक चक्कर लगा लेती है , यह वह गृह है जहा हम मानव ,पशु ,पक्षी हरियाली, पानी व हवा रहती है , जहा हम मटर गस्ती करते है । 

मंगल (mars ) ;- हिन्दू धर्म में इसे पृथ्वी का बेटा  बताया  गया है , ये पृथ्वी का आधा है , व यहाँ कभी जीवन था या बसाया जा सकता है , यहाँ 687 दिन का एक साल होता है , यहाँ न्यूनतम तापमान माइनस  -125 डिग्री है , व गर्मी में २० डिग्री सेंटीग्रेड है । 
इसकी सतह लाल है ,  जो वहा के लोहे के धुल में oxygen से क्रिया करके बनी है , ऑक्सीजन व लोहा का होना , जो प्रमाण है , कभी वहा सभ्यता  व जीवन था , वहा रेडिएशन भी मिल रही है , जो दर्शाता है शायद वहा हाइड्रोजन बमो का युद्ध हुआ हो , वहा गया रोवर oppourtunity  अजब तथ्य खोज व फोटो भी भेज रहा है ।
वह एक रोवर के साथ वैज्ञानिक भी है । कभी मंगल पर नदिया थी , जो शायद किसी विनाशक  हथियार से सुख गयी हो अभी भी वहा एलियन के बनाये यंत्र भी दिखे है , तथा तमाम मानव मूर्ती व पत्थर कला भी दिख रही है , एक खबर अनुसार ग़िज़ा के पिरामिड मंगल ग्रह  के एलियन ने बनाया था , तो फिर आज मंगलवासी गए कहा ?? फिलहाल जो भी हो आने वाले ५-१० वर्षो में सारा कुछ स्पस्ट  हो जायेगा जैसा ठीक the  martian फिल्म में दिखाया गया है ।  मानव जीवन के अनुकूल यहाँ बर्फ के काफी भण्डार दबे पड़े है ।  

वृहस्पति (jupiter ) ;- सौरमंडल का पाँचवा व सबसे बड़ा ग्रह है , इसके कुल ६७ चन्द्रमा है जो की उल्का पिंड है ।  हिन्दू धर्म में इसे देवताओ के गुरु बताया गया है , वैसे यह ग्रह गैसों का ग्रह है , जहा हाइड्रोजन , हीलियम , मेथेन आदि है । ठोस रूप नहीं है , इसका तापमान बादलो में माइनस १४५ डिग्री सेंटीग्रेड है व केंद्र में सूर्य से भी गर्म २४००० डिग्री सेंटीग्रेड है जो सूर्य से भी गर्म है , नासा अनुसार यह वृहद् है , यह सूर्य का चक्कर नहीं लगाता  वृहद् स्वरुप ही इसका नाम वृहस्पति है । सूर्य व वृहस्पति space अंतरिक्ष में point कर चक्कर कर घूम रहे है । 
शनि (saturn );- दूसरा सबसे बड़ा ग्रह  है , यह भी गैसों का ग्रह है , हाइड्रोजन ९६%  हीलियम ३% मेथेन ४% प्रमुख है , 10759 दिन में सूर्य का एक चक्कर लगाता है , लगभग धरती के (29.5 साल में ) इसका तापमान -१७८ डिग्री सेलसियस है , व बीच का तापमान -१२७ से -२८ डिग्री सेलसियस व नीचे के बादल 57डिग्री सेलसियस है । हिन्दू धर्म में शनि सूर्य का पुत्र है , जिसकी दृष्टि खतरनाक मानी जाती है जो एक गुरु के रूप में है । 


अरुण (uranus );- तीसरा सबसे बड़ा घेरे वाला ग्रह , सबसे ठंडा ग्रह है इसका वातावरण वृहस्पति व शनि जैसा ही है , बिना सतह के हीलियम , मेथेन प्रमुख गैस है , हिन्दू धर्म में इन्हें सूर्य के सारथी है , पृथ्वी अनुसार 84 साल में सूर्य का एक चक्कर लगाता , यह बर्फ का ग्रह है , ऊपरी सतह पानी व अमोनिया की है एक  ठंडा ग्रह है , न्यूनतम -२२४डिग्री सेलसियस और व दिन में अधिकतम 577 डिग्री सेलसियस है , यहाँ भी मंगल को छोड़कर मानव जीवन नहीं बसाया जा सकता । 


वरुण (neptune );- हिन्दू धर्म में ये जल व समुद्र के देवता है । यह चौथा सबसे बड़ा ग्रह है व सूर्य से सबसे दूर है , । यह सूर्य का एक चक्कर धरती के नियमअनुसार  164.8  साल में लगाता है । 
यह  बर्फ का ग्रह है , इसकी वजह हाइड्रोजन , हीलियम, हाइड्रोकॉर्बन , व nytrogen है । 
जो पानी , अमोनिया , मेथेन की वजह से बर्फ है इस ग्रह पर का तापमान -218 है व अधिकतम १० डिग्री सेलसियस से तनिक है । इसकी निश्चित सतह नहीं है । 
यहाँ ८०% हाइड्रोजन , १९% हीलियम , थोड़ा पानी और मेथेन है । 


लेखक;-दिनों के नाम  से _______रविकान्त यादव for more click ;- https://www.facebook.com/ravikantyadava
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Monday 13 February 2017

उल्कापिंड (meteoroid)


उल्कापिंड में ९०% पत्थर होता है , । बाकी लोहा , निकिल , या अन्य धातु होते है । ये हमारे ग्रह पृथ्वी के भाग या अंश नहीं है , ये अंतरिक्ष से भटककर पृथ्वी पर आते है , । औसतन साल भर में १० ग्राम तक १८००० से ८४००० तक  उल्कापिंड साल भर में पुरे पृथ्वी पर गिरते है । 

ये या तो किसी ग्रह पर एक दूसरे की टकराहट से बनते है या ये कोई उच्च सभ्यता द्वारा भेज गया सेटेलाइट उपग्रह , रिसीवर या रोवर हो सकते है , जो समय यात्रा द्वारा विकृत रूप में हमें प्राप्त होते हो , फिलहाल पूर्ण सत्यता नासा  ही  बता सकता है । 

उल्कापिंड को meteoride , asteroid , comet भी कहते है , हिंदी में टूटता तारा , लुका आदि कहते है । 
यदि उल्कापिंड आकर में छोटा है , तो पृथ्वी के वातावरण में रासायनिक क्रिया कर स्वयं जल कर नस्ट हो जाते है ,
जिसे आप आसमान में टूटते तारे के रूप में देख सकते है , अगर ये बहुत बड़े हुए तो इनका कुछ अंश धरती पर गिरेगा ही जो जान माल की भीषण तबाही मचा सकता है , । 
एक समय उल्कापिंड मंगल ग्रह जितना पृथ्वी से टकराया था उसके टक्कर से धुल, गुबार से चन्द्रमा बना वही एक उल्कापिंड के टक्कर में डाइनोसोरो का सफाया हो गया था । 
अतः कोई भी बड़ी उल्कापिंड पृथ्वी व पृथ्वी के जीवन को तबाह कर सकती है । 


लेखक;-टूटते तारे देखते______रविकान्त यादव  for more click me ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava
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Tuesday 7 February 2017

द्वापर युग के नायक (heroes of dwaper era )


१) परशुराम ;- इस युग के ही नहीं सतयुग , त्रेता, द्वापर , के  भी महान नायक , इन्होंने द्वापर युग में अपना सब कुछ ब्राह्मणों को दान दे दिया व महेंद्र गिरी पर्वत पर तपस्या को चले गए , अंत में द्रोणाचार्य पहुचे और दान देने की गुजारिश की परशुराम जी ने कहा अब मेरे पास इन अस्त्र शस्त्र के सिवाय कुछ भी नहीं बचा है , 
चतुर द्रोणाचार्य ने उनसे उनके अस्त्र शस्त्र व उनकी विद्या दान में  माँग ली । 
आज भी परशुराम महेंद्र गिरी पर्वत पर तपस्या कर रहे है । 


२) श्रीकृष्ण ;- इस युग के महान नायक या यु कहे ये इन्ही का युग था १२५ साल की उम्र तक धर्म , सत्य ,न्याय  हेतु सब कुछ किया ,गीता ज्ञान दिये , व अर्जुन , सुदामा , अभिमन्यु जैसे सखा और शिष्य भी बनाये , ये अर्जुन और दुर्योधन दोनों के संबंधी थे , दोनों को सामान अवसर और ताक़त देते हुए महाभारत में एक ने उनकी सेना मांग ली दूसरे अर्जुन ने स्वयं उन्हें , परंतु बिना अस्त्र शस्त्र के भी धर्म को विजय दिलाये , इनके सुदर्शन और महान नीति का तोड़ संभव नहीं था । 


३) भीष्म पितामह ;- माता गंगा और शांतनु के पुत्र परशुराम के, द्वापर के पहले शिष्य , इच्छा मृत्यु का वरदान होने से इन्हें पराजित करना असंभव था , पांडव सेना को प्रतिदिन दस हज़ार लोगो को मारते थे , किसी को भी मारने में सक्षम।, परंतु दुर्योधन आदि कुटुंब से विवश रहते थे । 


४)अर्जुन;- बिरला धनुर्धारी , द्रोणाचार्य से इंद्रलोक से , शिव से सभी दिव्यास्त्रों का धारक कर्म व वचन से व वनवास तक पूरी शिद्दत से निभाने वाले , महाभारत में पांडव की तरफ से सबसे बड़े योद्धा धनुर्धारी ।






५)कर्ण  ;- एक राजपुत्र व सूर्यपुत्र होने के बाद भी सूतपुत्र निम्न जाति  सूतपुत्र का अभिशाप लेकर जीना परशुराम के शिष्य व विजय धनुष के धारक जिसे इन्होंने केवल अर्जुन के साथ युद्ध में प्रयोग किये , विजय धनुष को मात्र थाम लेने से उसे धारक को पराजित करना नामुमकिन होता था , जो इन्हें देव परशुराम ने दिया था , अभाव में भी अपने पराक्रम व योग्यता से महान  दानवीर  कहलाये , श्री कृष्ण भी इनसे प्रभावित थे , युद्ध में अर्जुन के विरुद्ध अश्वसेन नाग के सहयोग को इन्होंने ठुकरा दिए व सच्चे योद्धा कहलाये । 



६)युधिस्ठिर ;- इनके धर्म पर चलने की वजह से सभी धर्मपरायण लोग इनकी सहायता करते रहते थे , इनमे सूर्य देव , धर्मराज, कृष्ण, विदुर, आदि अन्य लोग थे , द्वापर युग के सबसे बड़े धर्मवीर कहलाये जाते है , इन्होंने सशरीर  स्वर्गारोहण किया । 


७)अभिमन्यु ;- अर्जुन के पुत्र श्री कृष्ण के शिष्य सबसे कम उम्र का योद्धा , एक खास तरह की धनुर्विद्या में महारत पांडवो का दूसरा सबसे बड़ा धनुर्धारी  , इन्हें चंद्रमा के पुत्र का अवतार भी कहा जाता है , १६ साल की उम्र में महारथियों द्वारा घेर कर रणभूमि में शहीद । 


८) महर्षि वेद्व्यास  ;- सत्यवती के पुत्र व भीष्म पितामह के बड़े भाई सभी वेदों की व्यवस्था करने से इनका नाम वेद व्यास पड़ा , गीता की भी रचना की , अपने तपोबल व योग साधना से आज भी जीवित है । 


लेखक;-  नायको हेतु ______रविकान्त यादव for more click ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava
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