Friday 11 June 2021

नास्तिक की भावना (atheist feeling)

एक व्यक्ति थे , पुरे नास्तिक , धर्म कर्म से कोई मतलब नहीं बस शराब पीना , जुआ खेलना , मारपीट , गाली गलौज , पैसे के लिए हाय हाय करना एक बार उनकी कद काठी देखकर एक फिल्म बनाने वाले ने उसे अपने रामलीला में काम करने के बदले पैसे देने की बात कही , बस फिर  क्या था ,पैसे के लिए वो कुछ भी कर सकता था , डायरेक्टर तीन दिनों तक एक ही सीन करवाता रहा , हर बार कट बोल देता ,आख़िरकार तंग आकर उसने उसे डाटा , भावना लावो भावना ,
चूँकि वह नास्तिक था, तो भावना कहा से लाता , थक हार कर उसने डायरेक्टर से हफ्ते भर का समय माँगा इस समय वह मंदिर मस्जिद गुरूद्वारे गया ,तरह तरह से ईश्वरीय कहानिया सुनी पात्रो को जाना , सोचा ,समझा तथा अच्छे -बुरे का फर्क भी महसूस किया उसे लगा अब वह रामलीला में अपना रोल भरत को कर सकता है , परन्तु इस बात से अनभिज्ञ वह स्वयं आस्तिक हो गया है , वह अपना रोल पूरी शिद्दत से करता उसका हर सीन अच्छा बना ,उसे तमाम पैसे मिले , स्वयं राम लीला  के पात्र भरत उसके सपने मे  आये बोले हे पापी मनुष्य तुमने मेरा चरित्र  मुझसे भी अच्छी तरह से निभाया आज तुमने पहली बार पैसे के लिए अच्छा काम किया है | तुम्हारे लिए यह संभव कैसे हुआ ,जाओ आज से तुम्हारे सारे पाप नष्ट  हो जा रहे है , दूसरी सुबह वह नास्तिक पूरा आस्तिक बन मंदिर पहुंच  चुका था | 

लेखक;-आस्थावान ____रविकान्त यादव for more click ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/

and https://www.facebook.com/ravikantyadava


आसियाना (home)

एक अमीर  व्यक्ति थे , तमाम ऐशो आराम शानदार बंगला तमाम सुविधाये एक बार उन्हें किसी बहेलिये ने खरगोश लाकर दिया खरगोश की तमाम सेवाए होती  उसे तमाम खाना मिलता , तमाम फल मिलता उसे घूमाने फिराने को नौकर  थे ,एसी की हवा थी ,चूँकि उसे छत पर घुमाया टहलाया जाता परन्तु खरगोश की नजर हमेशा छत से सटे एक दीवार के पार जाने को सोचती , दिवार के उस पार जंगल था , परन्तु छत से कूदने की उसकी हिम्मत नहीं होती थी , छत खरगोश के लिए जरा  ऊंची थी कई दिनों तक सोचते देखते आखिर कार उसने छत से कूदने की हिम्मत जुटा ली और नौकर बेख्याल उसे छोड़ टहल रहा था , अचानक खरगोश ने छलांग मारी और छत से होते हुए दिवाल पर से झाड़ियों में जाए गिरा ,
जब तक नौकर कुछ समझता खरगोश उछलते हुए , कुलांचे भरते हुए , जंगल की तरफ दौड़  गुम, नजरो से ओझल होता गया , मानो कह रहा हो तुम्हारा आसिवाना तुम्हे ही मुबारक ,अब मै आज़ाद हु | 

लेखक;-खरगोश दर्शक ____रविकान्त यादव for more click ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/

and https://www.facebook.com/ravikantyadava


समझ (understanding)


एक घना हरा वट वृक्ष था , उस पर तमाम पक्षी रहते थे |  कोयल ,कौवा ,बुलबुल ,कबूतर , उल्लू , तोता , हंस  आदि तमाम पक्षियों से वट वृक्ष गुलजार था , परन्तु उन पक्षियों में एकता नहीं थी , कंही कौवे अन्य पक्षियों के अंडे खा जाते तो कभी रात में उल्लू कौवो पर हमला बोलते , तो कभी दिन में कौवे | 

सभी पक्षी जैसे तैसे अपना अपना घर परिवार जीवन बचा कर रहते थे , वे एक दूसरे से लड़ते पर  उन्हें वट वृक्ष पर रहना स्वीकार था , | वही बगल में एक सरोवर था जहा रात में तमाम भयानक जानवर भी प्यासे  पानी पीने आते थे | 

एक दिन एक साधु  भजन गाते उस रास्ते से निकला  घने हरे वृक्ष के तले  गया  तो उसकी थकान जाग गयी , वह वही सो गया तथा वृक्ष पर बसे तमाम पक्षियों के बसेरो  को देखने लगा इसी क्रम में वह रोज़ उस रास्ते से गुजरने की सोचने लगा | 

तीसरी बार वह उधर से गुजरा तो उसने देखा वृक्ष पर किसी पक्षी का आश्रय नहीं है | वे सभी उस वृक्ष पर से कही दूसरे जगह चले गए थे , साधु समझ गया था , कि पक्षी भी हमें समझ चुके है , कि अपने स्वार्थ के लिए मानव बहेलिया बन किसी भी हद तक जा सकता है | 

लेखक;- मानव ___रविकान्त यादव  for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/

and https://www.facebook.com/ravikantyadava




Monday 7 June 2021

मानसिकता (mentality)

एक बार तीन दोस्त एक जगह जंगल में घूमने के उद्देश्य से गुजर रहे थे | तो अचानक उन्हें एक घायल सांप मरने की स्थिति में पड़ा था , उन्होंने देखा तो उन्हें आश्चर्य हुआ , सांप लहूलुहान था , वे जरा करीब गए तो सांप कराहते हुए बोला  हे  मानवो तुम तीनो मेरी मदद कर सकते हो | मेरी जान बचा सकते हो | उन तीनो नो पूछा तुम्हारी यह हालत कैसे हो गयी तो उसने बताया कि एक बाज़ उसे उठाकर मार कर खाना चाहता था , किसी तरह वह उसके चंगुल से छूटकर जमींन  पर गिरा पड़ा है | 

वो तीनो व्यक्ति चिकित्सा विज्ञान के गुनी थे , एक रोग की पहचान दवा जनता था , एक उसे बनाना जानता था , तथा तीसरा उसका उपयोग असर जानता था , इस तरह उन्होंने उसकी साँप की दवा चिकित्सा से, उसे सही बना दिया | 

दूसरी बार साँप से वो मिलने आये तो उसने उन्हें एक एक मणि उन्हें उपहार स्वरुप दिया  , समय बीतता गया तीनो मित्र  उस साँप से मिलने आते रहते एक व्यक्ति लगभग आये दिन सांप से मिलने आता , धीरे धीरे सांप के परिवार वाले उसे गलत समझने लगे , साँप के बच्चे को लगा यह जरूर हमारा भेद जानने आता है , और मानव जाति पर बहुत  बिश्वास नहीं करना चाहिए अन्य मणि पर इसकी नजर है | और एक दिन साँप के बच्चे ने उसे डस लिया वह वहा  से भागा | 

दूसरा जो औसधि बनाना जानता था , कभी कभार यदा कदा उससे साँप से मिलने आता सांप ने एक दिन उसे एक और मणि उपहार में दिया जो अँधेरे में राह खोजने में रास्ता दिखाती थी , | 

तीसरा जो कभी नहीं आता था एक दिन उधर से गुजरा तो उसकी इच्छा साँप से मिलने की हुई , सांप को लगा यह जरूर हमें मार कर मणि लेने आया है , आज का समय ठीक नहीं है अतः उन्होंने उसे आक्रामक होकर भगा दिया | 

इस तरह दोनों तरफ प्यार तो था , पर सोच  व मानसिकता की वजह से बिखराव उत्पन्न हो गया | 

लेखक;-आते जाते _____रविकान्त यादव for more click ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/

and https://www.facebook.com/ravikantyadava

Saturday 5 June 2021

दायरा (area)



जंगल में कोई कानून नहीं था , कोई किसी का सगा न था ,बस लूटो मारो खावो की रणनीति चल रही थी | इससे क्षुब्ध होकर तमाम छोटे जानवरो ने वनदेवी की प्रार्थना की , वनदेवी उपस्थित होती है , छोटे जानवर अपनी समस्या रखते है , | वनदेवी वरदान स्वरुप कहती है , जाओ अब जो भी जानवर किसी दूसरे जानवर के दायरे में जायेगा वह उस वहा जाने वाले जानवर के साथ ,कुछ भी कर सकता है , वह जानवर भले ही कितना ताकतवर हो  लाचार व पंगु हो जायेगा अब तमाम जानवर ही जंगल के राजा बन गए, कोई किसी के दायरे में नहीं जाता था |  बस किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा तो वो था जंगल का राजा शेर, 

शेर एक बार पानी पिने कछुवो के दायरे में चला गया तो कछुवे उसे जिन्दा ही पानी में घसीटने लगे , शेर ने पूछा ऐसा क्या कसूर हुआ है , तो कछुवे बोले जब तुम पानी पीने आते  थे , तो हमें ध्यान नहीं देते थे ,अपने पैरो के नीचे रखते थे | शेर किसी तरह गिड़गिड़ा कर वहा से भागा शेर जब वहा से गुजरा तो वह चीटियों के दायरे में चला गया चीटिया तुरंत ही उसे  जिन्दा ही उठाकर खाने लगी , शेर बोला मेरी तुमसे क्या दुश्मनी है | चींटिया बोली तुम बहुत घमंडी हो तुम्हारे चाल की वजह से हमारे घरौंदे उजड गए व कई चींटिया तुम्हारे नाखून से घायल हो गयी शेर पूरी ताक़त से वहा से किसी तरह  भागा अब शेर ने सोचा चलो अब किसी बहुत कमजोर व डरपोक के दायरे में चलू ,  अब वह चूहों  के दायरे  था , चूहों ने शेर को पकड़ लिया तथा कहा क्यों बे हम तेरे रास्ते से  गुजरते है तो तू हमें नमस्कार  क्यों नहीं करता बे , चूहे ने उसे पकड़ कर पटक पटक कर बड़ी मार मारा , शेर ने सोचा चलो  अब बगल में ही अपने खरगोश मित्र के यहाँ चलु , खरगोश के यहाँ जाते  ही खरगोश ने उसे जहर वाला जलपान पेश किया शेर की हालत बिगड़ने पर खरगोश  हसते  हुए बोला  तेरे घर गया था तो तू बड़ा उल्टा सीधा बोल रहा था , तेरी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऊंची आवाज में बात करने की अपने को बड़ा बन रहा  था ,बड़ा तीस मार खान था ले मर अब तेरे घर पर मेरा कब्ज़ा हुआ शेर बच गया व भागा | 

अचानक शेर फिसल गया व मिट्टी से भरे केंचुवे के दायरे में पहुंच गया | केंचुवे ने कहा ये कुत्ते तू मेरे इलाके में क्या कर रहा है , तब शेर ने कहा ध्यान दे केंचुवे भाई मै जंगल का राजा शेर हु , केंचुवे ने कहा नज़रे नीची कर बात कर, तू होगा शेर वेर भाग मेरे दायरे से वरना  घसीट घसीट कर  मारुंगा ,परन्तु शेर अब डर व दिग्भर्मित हो गया था , उसने एक बूढ़े भेड़िये से पूछा  ओ  भेड़िये बाबा इधर से मेरा रास्ता जरा बता दो , भेड़िये ने कहा  जरा अपना सोने  की अंगूठी दो शेर ने दे दिया  तब भेड़िये ने कहा भाग यहाँ से मुझसे तुझसे कोई मतलब नहीं तू कौन मेरा है |   अब शेर ने कसम खाई अब मै  केवल अपने दायरे  में रहुगा ,उधर से एक बिल्ली गुज़री शेर ने कहा ओ बिल्ली मौसी  कैसी हो , बिल्ली ने उसे  किसी तरह पहचाना  ,बोली मै मूछ वाली सुमन बिल्ली हु , मासूम कमजोर मेरे शिकार होते है , मै अपने अनुशासन  के लिए जानी जाती हु | बिल्ली बोली  अब चल हट तू , तू इतना बड़ा नहीं की तेरे से बात करू |

उधर से एक जिराफ गुजरा शेर ने कहा सोचा कम से कम जिराफ  तो उसकी कदर करेगा , उसने कहा जिराफ भाई मुझसे दोस्ती करोगे , लेकिन जिराफ  ने कहा देख भाई तू ठहरा टिन्गु ,मै कहा लम्बा ,तू मेरी दोस्ती के काबिल नहीं है | 

शेर अब सतर्क था , परन्तु गलती से चिडियो  के दायरे में पहुंच गया , गुस्साई चिडियो ने उसे पंजे में पकड़कर सैकड़ो फ़ीट हवा  में ऊपर टांग दिया वो उसे ऊपर से फेकने ही वाली थी ,कि शेर गिड़गिड़ाया वो चिड़िया जी मेरी आपसे क्या दुश्मनी  चिड़िया बोली तुम्हारे छलांग की  वजह से हमारे घोसले व अंडे टूट गए थे | व तुम अकड़ते  हुए चले गए थे | चिड़िया उसे ऊपर ले जाकर गिरा देती है , शेर किसी तरह बेल पकड़ जिन्दा बचा , वह वहा से भागा गिरते पड़ते वह हाथियों के दायरे में आ गया , हाथी बोला क्यों बे इधर क्या  कर रहा है | जान की परवाह नहीं क्या ? शेर बोला माई -बाप मैंने आपका क्या बिगाड़ा है | हाथी बोला अरे तू बिगाड़ ही क्या  लेगा बे  चल अब पैर पर मालिश कर और चलता बन नहीं तो यही कीमा बना दुगा | शेर किसी तरह नजर बचा हाथी के चंगुल से बेतहासा भागा , शेर अब समझ गया था , उसे अब अपने  दायरे में ही रहना होगा , न चाहते  हुए भी लोग दुश्मन बन ही जाते है |  पता न कब कौन किसके दायरे में आ जाये वो जान गया, न वो समाज का है और न समाज उसका , निश्वार्थ समझौता कही नहीं है |



लेखक ;-अपने दायरे से ____ रविकान्त यादव for more click ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava

and http://justiceleague-justice.blogspot.com/