Sunday 28 May 2017

कल्पवृक्ष ( wish fulfilling tree baobab )

समुद्र मंथन के समय १४ दुलभ रत्नो के साथ कल्प वृक्ष भी प्राप्त हुआ था , वैसे तो यह वृक्ष इंद्र ने सुरकानन में स्थापित कर दिया  , परन्तु धरती पर भी यह मौजूद है परन्तु इसकी पहचान आसान नहीं है , इसकी पत्तिया कुछ कुछ आम जैसी होती है , मान्यता है  पांडव वंश अर्जुन  द्वारा इसे स्वर्ग से धरती पर लाने का जिक्र है | जो कुंती के नाम से उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के किंतुर ग्राम में स्थापित किया था ,
जो आज भी मौजूद है ,| कैलाश पर्वत क्षेत्र में भी कल्प वृक्ष होने का जिक्र है | 
मान्यता है ,इसके नीचे बैठकर या पूजा से इच्छित वस्तु की प्राप्ति होती है , | लोग इसके जड़ तने छाए की मिट्टी  भी लेकर चले जाते है | 

यह जैन धर्म का पूजनीय पौधा है | भारत  में कही कही और अफ्रीकाई मूल का यह पौधा अफ्रीका के रेगिस्तान में पाया जाता है , इसकी पत्ती  , फल , फूल, छाल सभी अति औषधीय गुण  रखते है , इसे बाओबाब भी कहते है , यह मेडागास्कर का राष्ट्रीय वृक्ष है , | 

कल्पवृक्ष की कुल नौ प्रजातिया है , ६ प्रजातियां मेडागास्कर में पाई जाती है | 
दो प्रजातियां अफ्रीका के मेनलैंड में पाई जाती है , और एक ऑस्ट्रेलिया में पाई जाती है | 
भारत में यह कई जगह मिल जाएगी | 
एक कथा है , जंगल में भटका प्यासा व्यक्ति इसके छाव नीचे जल की कामना की या जल सोचा उसे प्याले में जल मिल गया , व सोच में पड  गया कही कोई भूत तो नहीं तभी भूत भी प्रकट हो गया इससे वह डर कर वहा से जैसे तैसे भाग गया | 


वैसे भारत में ३० कल्प वृक्ष है , ११ सिर्फ लखनऊ में है , एक पेंड लखनऊ विश्व विद्यालय के वनस्पति विज्ञान विभाग में है , दूसरा n b r i में है | ५ पेंड चिड़िया घर में है , | 
बाराबंकी के देवा में भी एक कल्प वृक्ष है | 
इनके खिलते फूल के बीज से इन्हे लगाया जाता है | 
जो परागण पर निर्भर करता है | रात में खिलने वाले फूल चमगादड़ आदि के आभाव में परागण नहीं हो पा रहा है , इसलिए भारत में यह रेड डाटा बुक के अनुसार विलुप्ति के कगार पर है | 

 
लेखक;- कल्पवृक्ष ढूढ़ते ______रविकान्त यादव for  more click ;- http://justiceleague-justice.blogspot.in/
एंड https://www.facebook.com/ravikantyadava




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