Wednesday 11 April 2018

एकादशी कथा ( fasting day)


एकादशी महीने में दो बार पड़ती है , एक कृष्ण पक्ष व दूसरी शुक्ल पक्ष में इस तरह यह साल में 24 एकादशी पड़ती है , सभी  का नाम अलग अलग है , व सभी का अपना अपना माहात्म्य है , व सभी की कोई न कोई अपनी अपनी कहानिया है | यह भगवान विष्णु को समर्पित व्रत है | जिसमे मनुष्य के पापो का नाश हो जाता है , व व्रती को विष्णु लोक प्राप्त होता है | 
इस एकादशी के सभी व्रत की तिथि आप अपने कैलेंडर में देख सकते है | 

सतयुग में मुरसुरा नाम का एक महाबलशाली राक्षस था , उसने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया देवता भगवान शिव के पास गए तब शिव ने उन्हें भगवान विष्णु के पास जाने को कहा भगवान विष्णु सभी देवताओ के लिए मुर के सभी राक्षसी सेना का संहार करते है , तथा मुर से विष्णु का कई वर्षो तक युद्ध चला , तब भगवान विष्णु को नींद आने लगती है |  वह मुर का वध करने में असफल होते है ,तथा बद्रिकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने चले जाते है | 
मुर दानव भी उनके पीछे पीछे घुसा और सोते हुए भगवान को मारने के लिए बढ़ा तो विष्णु जी सीने से एक कन्या निकली उसने मुर राक्षस का वध कर दिया | 




जब विष्णु की नींद टूटी तो उन्हें आश्चर्य हुआ , तब देवी कन्या ने उन्हें  सब विस्तार से बताया तब विष्णु ने कन्या का नाम उस दिन के अनुसार एकादशी रखा तथा वरदान स्वरुप कहा , जो भी तुम्हारा व्रत रखेगा उसके सभी पापो का नाश होगा और उसे विष्णुलोक मिलेगा , तब से एकादशी व्रत की परम्परा चली | 


व्रत के एक दिन पहले से शुद्ध - सात्विक रहे नियम संयम का पालन करे व्रत के दिन सभी प्रकार के अन्न का त्याग करे , व्रत के दिन कोई काम काज न करे जिससे भूल के भी कीट पतंगों।, जीव -जन्तुओ की हत्या न हो | 

२) सभी पांडव एकादशी व्रत का पालन करते थे , परन्तु भीम के लिए यह संभव नहीं था , वह चाह कर भी इस व्रत को नहीं कर सकते थे |  क्यों कि उनके उदर में वृक नामक अग्नि रहती थी , जो उन्हें भूख से जलाती रहती थी , जिससे वह दिन में कई बार व बहुत सारा भोजन करते थे | 



एक बार उन्होंने महर्षि वेद व्यास से पूछा क्या कोई ऐसी विधि है , जिसे करने से सभी एकादशियो के व्रत का फल मिले तो उन्होंने भीम को निर्जला एकादशी रखने का उपाय बताया | 

भीम बिना जल के इस व्रत को विधि पूर्वक करते है | परन्तु सुबह होते होते वह भूख से मूर्छित बेसुध हो जाते है , 
तब पांडव उन्हें तुलसी गंगाजल आदि से उन्हें होश में लाते है ,व खीर आदि से उनका उपवास खुलवाते है , तब से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है , | 
एकादशी के दिन जो व्रत  करने में असमर्थ है , वो इस दिन शुद्ध सात्विक रहे , चावल का उपभोग न करे तथा भगवान विष्णु के रूपों की पूजा करे | 

लेखक;-एकादशी व्रत से ________रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.in/  and https://www.facebook.com/ravikantyadava











No comments:

Post a Comment