Wednesday 27 January 2021

राम की हार (ram defeats)

शबरी जो जीवात्मा , धर्मात्मा , पुण्यात्मा से बढ़कर महात्मा थी , | उसके पिताजी जो भील जाति प्रमुख थे उसकी शादी  के लिए सौ पशुओ की बलि देने वाले थे , उन निरीह पशुओ की रक्षा के लिए शबरी घर से भाग गयी और वन में पहुंच गयी , शबरी के भील ,नीची जाति  ,अछूत होने के कारण कोई भी ऋषि मुनि उसे आश्रय देने अपनाने से इंकार कर दिया ऐसे में मतंग ऋषि उसे आश्रय देते है , व बताते है , एक दिन उनके आश्रम पर श्रीराम आएंगे व उसे मोक्ष मिलेगा | 
एक बार शबरी एक तालाब से पानी ले रही थी तब अन्य ऋषि साधु उसे पत्थर से मारते है , जिससे शबरी के खून से वह तालाब खून का हो जाता है , | 


जब श्रीराम उस वन में पधारते है , तब ऋषि लोग उन्हें उस तालाब तक ले जाते है | तथा सात नदियों के जल से उस तालाब में जल मिलाते है , अभिषेक करते है | व श्रीराम के पैरो से उस तालाब को छुवाते है , परन्तु वह खून (लहू )का
तालाब वैसा का वैसा ही रहता है , श्री राम बहुत कोसिस करते है , परन्तु लहू (खून ) का तालाब नहीं बदलता तब श्रीराम शबरी को बुलवाते है ,शबरी के पैरो  के धुल से वह खून का तालाब पुनः स्वच्छ निर्मल पवित्र जल बन जाता है |

 

वहा से शबरी श्रीराम को मतंग ऋषि के आश्रम ले जाती है , व सप्रेम बेर खिलाती है , व मोक्ष को प्राप्त होती है | 
आज शबरी का मंदिर छत्तीसगढ़ के खरौदनगर में शौरीमंडप नाम से आज भी विख्यात है |
लेखक;- आदरसहित ___रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/
and https://www.facebook.com/ravikantyadava



No comments:

Post a Comment