Friday 3 March 2017

याद रहे ( mind it )


* सफलताए उम्र की मोहताज़ नहीं होती , आपकी प्रतिभा लगन का प्रकाश जरूर फैलेगा । 
* जीव में परमात्मा का वास होता है , अतः उसे कस्ट न दो , जान लेना आसान है , परंतु किसी की मदद , सुरक्षा जान बचाना व इज्जत करना बहुत कठिन । 

* तुम्हारे बुरे कर्म छिप न सकेंगे , चाहे तुम कितने भी चतुर हो । 

* ताज पहनने के काबिल वही है , जो उसे बनाने वाले का सम्मान करे उचे आसान पर बैठने का अधिकार उसी को है , जो मिटटी को छुए व वस्त्रो पर लगाने की काबिलियत रखे , क्यों सिंघासन की  नींव मिट्टी ही है । 

*पुण्यात्मा वही है जो , निश्वार्थ है , चाहे वह राजा हो या रंक । 

* सेवाभाव व सद्व्यवहार से जग को जीता जा सकता है । 

* निंदा स्वयं की हानि है । ईर्ष्या आगे नहीं बढ़ने देगी । 

* हितैसी सज़्ज़न व बड़ो की आज्ञा स्वीकार करनी चाहिए । 

* कटु वचनों पर ध्यान  न दो कटु वचन बोलने वाले का मुह स्वयं ही कडुवा होगा , वह स्वयं पाप का भागी बनेगा । 

* संतोष, सज़्ज़नो के लिए उतावलापन नहीं है । 

* सेवा परमात्मा सेवा है , इसमें चुके नहीं , पता न फिर अवसर मिले या न मिले या देर हो जाये । 

* एक भिखारी दरिद्र नहीं है , दरिद्र वह है जिसका संतोष , दया , दान , धर्म , ख़त्म हो चूका है । 

* उपकार व एहसान  भूलने वाला जानवर तुल्य तुच्छ हो जाता है । 

* अगर देखना है तो अपनी बुराई कमजोरी देखो दुसरो की नहीं ,यही तुम्हारा हित व उन्नति है ।

* पूण्य व पाप ये वो कमाई है जो साथ जाती है , हमारा कोष हमारे अच्छे बुरे कर्म है । 


* स्वहित व कर्तव्य से बढ़कर है , समाजहित , दुसरो को लाभ मिले , राहत मिले ,ख़ुशी मिले, इसे नजर अंदाज़ न करे यही वास्तविक सफलता होगी । 

* अपने समूह ग्रुप को छोड़कर जाना तथा उन्हें नाराज़ करना आज के समय में दोनों हानिकारक है । 
अतः अनजान लोगो से सोचसमझ कर मिलो मित्रता करो । 

* धोखा आप दुसरो से नहीं स्वयं से करते है , आप के पतन का मार्ग व अक्षम्य अपराध है आप इसकी दुबारा भरपाई नहीं कर सकते । 

*मुसीबते हमारी परीक्षा है , संयम और ज्ञान इसका हल है । 

* अन्धविश्वास आपका वास्तविक ज्ञान व विश्वास भी नस्ट कर देता है । 

*ज्ञान किसी से भी ग्रहण किया जा सकता है चाहत नजरिया होना चाहिए । 
ज्ञान उच्च नीच में अंतर करना नहीं सिखाता । 

*वर्तमान थोड़ा लालच ,भविष्य का बड़ा दुःख है , लोक लुभावन सपनो से दूर रहे । 

* शक्तिओ का दुरूपयोग न करे इसे भलाई के प्रति प्रयोग करे । 

 * कभी कभी हम बड़े बनने के प्रलोभन लिए अपने संस्कार को खो देते है , जिससे ज्ञान भी चला जाता है । 
    विना ज्ञान, व्यक्ति , पशु  व पक्षी भी निरंकुश हो जाते है । 

लेखक;- विचारक ______रविकान्त यादव for more click  ;- https://www.facebook.com/ravikantyadava
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