Friday 7 July 2017

नियति और नीति (fate and justice of god )

एक सपेरा था , दिन में सापो का खेल दिखा कर थोड़ा बहुत पैसे कमा लेता , धीरे धीरे पैसे की भूख बढ़ी , | 
अब वह खेल कम दिखाता और चोरी के स्थानों को चिन्हित ज्यादा करता व तमाम ठिकानो को चोरी के लिए खोजता रहता तथा दिन को साधारण सपेरा रहता ,रात को शातिर चोर बन जाता | 
इस तरह वह तमाम घरो में चोरी करता वह चोरी में  तमाम आभूषण सोना चांदी आदि चोरी करता तथा उसे जंगल में एक पुरानी  इमली के कोटर में छिपा देता इस तरह वह तमाम धन रत्न उस इमली के कोटर में जमा करता रहता , एक दिन उसने सोचा अब तो काफी धन हो गया है , चलो कुछ निकाल कर खर्च व्यय कर मजे लू वह उस जंगली इमली के पास गया , जैसे ही उसने इमली के कोटर में अपना चोरी का धन निकालने  के लिए हाथ डाला इस बात से अनभिज्ञ भीतर एक खतरनाक जहरीला सांप  बैठा पड़ा है , जैसे ही उस सपेरे ने हाथ डाला
 उस खतरनाक जहरीले सांप ने उसे डस लिया इस तरह वह सारे जिंदगी भर का सपेरा वही मारा गया || 
अतः कह सकते है हमारे बुरे कर्मो का निर्णय तो देर सवेर होकर ही रहेगा , लोकलुभावन सपनो को सोचने से अच्छा है , अपने श्रम , ज्ञान और सच्चाई पर विश्वास करना || 

लेखक;- खेल देखते ____रविकान्त यादव 
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