वर्तमान समय भले ही net , google , android आदि ने ले लिया है , परन्तु एक कुम्हार की तरह गुरु की महत्ता कभी कम नहीं होगी |
अगर शिष्य यन्त्र है,तो गुरु उसकी ऊर्जा , जिसके बिना पौधे रुपी शिष्य का विकास शायद ही संभव हो |
विश्व विजेता सिकंदर जिसे अलेक्जेंडर the ग्रेट कहा जाता जाता है , के गुरु अरस्तु , महान शासक चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य , बाद में इसी वंश चन्द्रगुप्त के पोते सम्राट अशोक के नाम से प्रसिद्द हुए |
महान धनुर्धर अर्जुन के गुरु द्रोणाचार्य , हनुमान जी के गुरु भगवान् भास्कर सूर्य है ,
वीर छत्रपति शिवा जी के गुरु स्वामी रामदास , इसी तरह तमाम महान लोग जिनके महानता के पीछे गुरुवो का ही हाथ था |
वर्तमान समय भले ही google , bing , yahoo , जैसे तमाम सर्च इंजन ,गुरुवो को चुनौती जरूर दे सकते है , परन्तु उसकी जगह नहीं ले सकते क्यों की रत्नो की परख उसके जौहरी ही कर सकते है |
असतो माँ सद्गमय , तमसो माँ ज्योतिर्गमय ||
अतः शिक्षक एक प्रकाश पुंज है |

लेखक;- गुरु पूर्णिमा पर......... रविकांत यादव
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