Sunday 26 November 2017

पर्यावरण पंचामृत ;-part 2 ( 7 sacred fruit tree )


हमारे शास्त्रों में एक पेड़ को १० पुत्रो के बराबर माना गया है , आइये जानते है , इनके धार्मिक महत्त्व व गुण 

१) आम ;- यह भारत में सबसे ज्यादा उत्पन्न होता है , इसे फलो का राजा भी कहते है | हिन्दु धर्म के साथ - साथ यह बौद्ध व जैन धर्म में भी पवित्र माना गया है , इसकी सुखी लकडिया टहनिया यज्ञ हवन में काम आती है , इसके पत्तो का तोरण शुभ माना जाता है , तथा इसके पत्तो को कलश स्थापना आदि में भी उपयोग होते है | 
इसके फल व फूल को देवो को भी अर्पित करने का विधान है , माना जाता है , इसे स्वर्ग से पृथ्वी पर नारद जी लाये थे | 

२) आँवला ;- इसे अत्यंत शुभ  माना जाता है , इसे अमृत फल भी कहते है , इसके फल ,चूर्ण व मुरब्बे के सेवन से तमाम व्याधिया दूर होती है , इसके एक वृक्ष लगाने से एक राजसूय यज्ञ का फल मिलता है , अक्षय नवमी के दिन इसके छाये तले भोजन करने -कराने व इसकी पूजा का  विधान है , | यह विष्णु का प्रिय फल है | 

३) बेल ;- शिवपुराण में बेल को साक्षात् शिव का स्वरुप कहा गया है , इसके पत्ते शिव को अत्यंत प्रिय है , इसकी उत्पत्ति देवी पार्वती  द्वारा पसीने की बूंदो से हुई है | इसको लगाने  से लोक -परलोक में अनेको लाभ मिलते है , इसको काटना महापाप माना जाता है , यह भी आंवले की तरह पूजनीय माना जाता है | गर्मियों में इसका शरबत या कैंडी सेवन शीतलता प्रदान करता है | 



४) जामुन ;- भगवान गणेश का प्रिय फल , इसकी सुखी टहनिया हवन आदि में प्रयोग होती है , इसके फल , पत्ती , गुठली , छाल लाइलाज मधुमेह रोग में रामबाण , इसे आम ,आंवले के साथ भी लगाया जाता है , भविष्य पुराण अनुसार  जामुन लगाने से धन की प्राप्ति होती है | 

5) केला ;- वास्तु अनुसार चारदीवारी में केला लगाना शुभ होता है , इसके पत्ते , तने व फल पूजा पाठ में प्रयुक्त होते है , मानना है , केले के पौधे में भगवान् वृहस्पति का वास होता है , इसको लगाने पर आर्थिक स्थिति ख़राब नहीं होती ,इसकी पूजा वृहस्पतिवार को होती है | 

6 ) अनार ;- वास्तु में इसका विशेष स्थान है , सुख -सम्बृद्धि दाता तथा घर में होने पर घर ग्रहो के दोष से बचाता है , इसके फूल को शहद में डुबो कर शिवलिंग पर अर्पित करने का विधान है | 

7) नारियल ;- इसे श्री फल कहते है , अर्थात भगवान् का फल , लगभग सभी शुभ कार्यो में प्रयुक्त , देवी स्थानों पर प्रिय , अत्यंत शुभ , व सबसे पवित्र फल होता है , यह हर समय उपलब्ध रहता है , इसका फल व पानी तमाम रोगो में  कारगार , देवभोग ,हवन,यज्ञ में मंगल कलश आदि में इसका उपयोग होता है , यह बहुउपयोगी वृक्ष व फल है | 


लेखक;- धार्मिक,,,,,,रविकान्त यादव 
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