१) " संयमी "ही वास्तव में सोच सकता है |
२) इंसानियत - हमदर्दी - भलाई , मानव को पूर्ण मानव बनाती है , इसके अभाव में वह मानव नहीं है |
३) पवित्र , कर्तव्य निर्वहन ईश्वर को पाने का रास्ता है |
४) अपनी गलतियों के लिए दुखी तत्पर, को ईश्वर भी सजा देने में सोचता है |
५) तानासाही गर्व नहीं, भय का कारण है |
६) सच्चा गुरु विद्यार्थी को सोचने का अवसर देता है |
७) गुरु को प्रकाश पुंज बनकर पोशक व उपजाऊ होना चाहिए |
८) द्वेष व रोष दोनों सगी बहने है |
९) एक सच्चा विद्यार्थी वातावरण से भी सीख लेता है |
१०) आपसे जलने वाला आपको गलत बताएगा व कुछ साबित नहीं कर पायेगा |
११) धर्म -अधर्म कर्म से है , परन्तु कर्महीन इनसे भी बुरा है |
१२) ज्ञान हमें सोचना सिखाता है , वही अज्ञान भटकना |
१३) लोग आपको देखेंगे , सोचेंगे , व चले भी जायेगे परन्तु आप अपने आप से नाराज़ न हो सतत चलते रहे |
१४) यदि आप अकेले है , तो किसी से सहायता की उम्मीद न करे स्वयं व आत्मविश्वास को जगाये |
१५) अभाव में भी उपकार को नहीं भूलना चाहिए , ओस की बुँदे भी औसधि से कम नहीं होती |
१६) शांति और राहत दोनों अलग अलग चीज़े है |
१७) ज्ञान से जीना सीखा जा सकता है , परन्तु जीने के लिए ज्ञान जरुरी नहीं है |
१८) सच्चा शिक्षक कभी कभी विद्यार्थी के ही मन की करता है |
१९) विद्यार्थी के लिए धन व मन साथ रखना मुश्किल होता है , दोनों साथ मुश्किल से ही रह सकते है |
२०) दोस्त की सुन लेना चाहिए |
२१) पैसे को सबकुछ समझने वाले अपने व्यक्तित्व को बेच देते है |
२२) अपने लोगो पर करुणा दृष्टि न रखने वाले रावण से भी गए गुजरे बुरे होते है |
२३) दूसरे को नीचा , ईर्ष्यावश बताने वाला कभी योग्य व बड़ा नहीं हो सकता |
२४) दिखो कपास के फूल की तरह महको गुलाब के फूल की तरह ||
लेखक;- विचारक _____रविकान्त यादव
for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.in/
and on ;- https://www.facebook.com/ravikantyadava
२) इंसानियत - हमदर्दी - भलाई , मानव को पूर्ण मानव बनाती है , इसके अभाव में वह मानव नहीं है |
३) पवित्र , कर्तव्य निर्वहन ईश्वर को पाने का रास्ता है |
४) अपनी गलतियों के लिए दुखी तत्पर, को ईश्वर भी सजा देने में सोचता है |
५) तानासाही गर्व नहीं, भय का कारण है |
६) सच्चा गुरु विद्यार्थी को सोचने का अवसर देता है |
७) गुरु को प्रकाश पुंज बनकर पोशक व उपजाऊ होना चाहिए |
८) द्वेष व रोष दोनों सगी बहने है |
९) एक सच्चा विद्यार्थी वातावरण से भी सीख लेता है |
१०) आपसे जलने वाला आपको गलत बताएगा व कुछ साबित नहीं कर पायेगा |
११) धर्म -अधर्म कर्म से है , परन्तु कर्महीन इनसे भी बुरा है |
१२) ज्ञान हमें सोचना सिखाता है , वही अज्ञान भटकना |
१३) लोग आपको देखेंगे , सोचेंगे , व चले भी जायेगे परन्तु आप अपने आप से नाराज़ न हो सतत चलते रहे |
१४) यदि आप अकेले है , तो किसी से सहायता की उम्मीद न करे स्वयं व आत्मविश्वास को जगाये |
१५) अभाव में भी उपकार को नहीं भूलना चाहिए , ओस की बुँदे भी औसधि से कम नहीं होती |
१६) शांति और राहत दोनों अलग अलग चीज़े है |
१७) ज्ञान से जीना सीखा जा सकता है , परन्तु जीने के लिए ज्ञान जरुरी नहीं है |
१८) सच्चा शिक्षक कभी कभी विद्यार्थी के ही मन की करता है |
१९) विद्यार्थी के लिए धन व मन साथ रखना मुश्किल होता है , दोनों साथ मुश्किल से ही रह सकते है |
२०) दोस्त की सुन लेना चाहिए |
२१) पैसे को सबकुछ समझने वाले अपने व्यक्तित्व को बेच देते है |
२२) अपने लोगो पर करुणा दृष्टि न रखने वाले रावण से भी गए गुजरे बुरे होते है |
२३) दूसरे को नीचा , ईर्ष्यावश बताने वाला कभी योग्य व बड़ा नहीं हो सकता |
२४) दिखो कपास के फूल की तरह महको गुलाब के फूल की तरह ||
लेखक;- विचारक _____रविकान्त यादव
for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.in/
and on ;- https://www.facebook.com/ravikantyadava
No comments:
Post a Comment