Monday, 11 December 2017

मेरे अमर विचार - part 8 ( my immortal thought my way and my world )

१) " संयमी "ही वास्तव में सोच सकता है | 
२) इंसानियत - हमदर्दी - भलाई , मानव को पूर्ण मानव बनाती है , इसके अभाव में वह मानव नहीं है | 
३) पवित्र , कर्तव्य निर्वहन  ईश्वर को पाने का रास्ता है | 
४) अपनी गलतियों के लिए दुखी तत्पर, को ईश्वर भी सजा देने में सोचता है | 
५) तानासाही गर्व नहीं, भय का  कारण है | 
६) सच्चा गुरु विद्यार्थी को सोचने का अवसर देता है | 
७) गुरु को प्रकाश पुंज बनकर पोशक व उपजाऊ होना चाहिए | 
८) द्वेष व रोष दोनों सगी बहने है | 

९) एक सच्चा विद्यार्थी  वातावरण से भी सीख लेता है | 
१०) आपसे जलने वाला आपको गलत बताएगा व कुछ साबित नहीं कर पायेगा | 
११) धर्म -अधर्म कर्म से है , परन्तु कर्महीन इनसे भी बुरा है  | 
१२) ज्ञान हमें सोचना सिखाता है , वही अज्ञान भटकना | 
१३) लोग आपको देखेंगे , सोचेंगे , व चले भी जायेगे परन्तु आप अपने आप से नाराज़ न हो सतत चलते रहे |

१४) यदि आप अकेले है , तो किसी  से सहायता की उम्मीद न करे स्वयं व आत्मविश्वास को जगाये | 
१५) अभाव में भी उपकार को नहीं भूलना चाहिए , ओस की बुँदे भी औसधि से कम नहीं होती | 
१६) शांति और राहत दोनों अलग अलग चीज़े है | 

१७) ज्ञान से जीना सीखा जा सकता है , परन्तु जीने के  लिए ज्ञान  जरुरी नहीं है |
१८) सच्चा शिक्षक कभी कभी विद्यार्थी के ही  मन की करता है | 
१९) विद्यार्थी के लिए धन व मन साथ रखना मुश्किल होता है , दोनों साथ मुश्किल से ही रह सकते है | 
२०) दोस्त की   सुन लेना चाहिए | 

२१) पैसे को सबकुछ समझने वाले अपने व्यक्तित्व को बेच देते है | 
२२) अपने लोगो पर करुणा दृष्टि न रखने वाले रावण से भी गए गुजरे  बुरे होते है | 
२३) दूसरे को नीचा , ईर्ष्यावश बताने वाला कभी योग्य व बड़ा नहीं हो सकता | 
२४) दिखो कपास के फूल की तरह महको गुलाब के फूल की तरह || 

लेखक;- विचारक _____रविकान्त यादव 
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