Sunday 12 February 2023

मेरे अमर विचार -part 9 (my immortal thought my way and my world)

* समय की मार से और काल के पंजे से पृथ्वी पर स्वयं भगवान भी नहीं बच सकते | 

* ईर्ष्यालु व्यक्ति जल में डूबते हुए वह व्यक्ति है , जो स्वयं तो डूबेगा ही साथ में आप को भी पकड़ -जकड लेगा | 

* जो आप पर झुठा आरोप लगाता है , वह कही न कही असुरक्षित है और जान जाइये वह आप से तुच्छ है | 

* बेटा कहने वाले हज़ार मुँह मिल जायेगे ,परन्तु बेटी कहकर सहृदयता  दिखाने वाले बहुत कम | 

* जीवन में सफल  होने का एक ही मंत्र है, कठोर परिश्रम , क्रोध न करना और ज्ञान का दामन न छोड़ना | 

* आप कितना भी ज्ञान अर्जित कर लो परन्तु उसे आचरण में नहीं लाये तो सब  व्यर्थ है | 

* जिस प्रकार तमाम कांटो के बीच गुलाब रहता है , उसी प्रकार बुरे लोगो के बीच भी अपना कार्य करना भी जरूर आना चाहिए | 


* शर शैया पर पड़े ,द्रौपदी ने भीष्म पितामह से पुछा, भरी सभा  में मेरा  चीर हरण हुआ परन्तु आप कुछ नहीं बोले तो भीष्म पितामह ने कहा दुर्योधन का पाप का धन खाने की वजह से मेरी बुद्धि भ्रस्ट हो गयी थी | 

* समय के बिगड़े व्यक्ति को समय ही बिगाड़ देता है | 

* आज द्वेष रखने वाले भेष बदल कर रहते है | 

* आहत को राहत देना ईश्वर सेवा है | 

* तपस्या व अच्छाई का फल भविष्य में व्याज के रूप में जरूर मिलता है | 

* बहुतयात दौलत अमीरो के लिये परेशानी का सबब व साधु संतो  के लिए गले की फाँस बन जाता है | 

* स्थिर , ठहराव से अच्छा है , सक्रिय  प्रवाहमान बने रहो | 



* अवसरवादी घात लगाए मगरमच्छ के जबड़े की तरह होता है , जो दिखाई भी नहीं देता | 

* सुविधाए ही व्यक्ति को धीरे- धीरे अपना दास बना लेती है | 

* जिस प्रकार अम्बर से हमें हवा ,पानी , रोशनी मिलती है , हमें भी उसी प्रकार किसी के लिए राहत व छाया बन जाना चाहिए | 

* जिस प्रकार बिना फूल के फल नहीं आते उसी प्रकार बिना लगन व विनम्रता के विद्या नहीं आती | 

* जिस प्रकार एक एक तिनके से घोसला बन जाता है , उसी प्रकार थोड़े थोड़े श्रम से व्यक्ति अपना भविष्य बना सकता है. मंज़िल पा सकता है  | 


* जिस प्रकार वज्रपात  जलधारा से बड़े बड़े पर्वत भी टूट जाते है , उसी प्रकार घमंड से भरा व्यक्ति का भी नाश हो जाता है | 

* जिस प्रकार  बादलो में सुर्य का प्रकाश ज्यादा देर छुप नहीं सकता ठीक उसी प्रकार व्यक्ति की प्रतिभा छिप नहीं सकती | 

* जैसे बिना पतवार के नाव दिशाहीन है , वैसे ही बिना उद्देश्यय जीवन दिशाहीन है | 

लेखक;-विचारक ____रविकान्त यादव 

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