Wednesday 28 November 2018

रुद्राक्ष (divine garland)

१)रुद्राक्ष की उत्पत्ति ;- भगवान  शिव संसार के कल्याण के लिए कई वर्षो तक तप करते है | लेकिन लोगो के कष्ट देखकर उनका मन दुखी हो गया , जब शिव जी ने अपने नेत्र खोले तो उनकी आँखों से कुछ आँसू जमींन  पर गिरे , जहा जहा उनके आंसू गिरे  वहा वहा रुद्राक्ष के वृक्ष उत्पन्न हुए , एक अन्य कथा अनुसार जब भगवान शिव त्रिपुर नामक असुर के वध के लिए अघोर अस्त्र का चिंतन किया तब उनके नेत्र से आंसुओ की कुछ बुँदे धरती पर गिरी यही जिनसे रुद्राक्ष वृक्ष की उत्पत्ति हुई | 



रुद्राक्ष रूद्र और अक्ष से मिलकर बना है , इसका अर्थ है रूद्र अर्थात शिव के आंसू , रुद्राक्ष एक प्रकार के फल का बीज होता है , फल के छिलके को हटाकर बीज को गले में धारण किया जाता है , रुद्राक्ष एक मुख से होकर १४ मुखी तक होता है , सभी के अपने अपने गुण है | परन्तु एकमुखी रुद्राक्ष दुर्लभ और सबसे फलदायी माना जाता है | इसे शिव का स्वरुप माना जाता है , रुद्राक्ष का पेंड हिमालय क्षेत्र में और असम , उत्तराँचल के जंगलो में , इसके साथ नेपाल , मलेशिया व इण्डोनेशिया  में काफी मात्रा में पाए जाते है , नेपाल व इंडोनेशिया से इसका सबसे अधिक निर्यात भारत में होता है | 





२) रुद्राक्ष के गुण ;- रुद्राक्ष को गंगाजल से शुद्ध कर शिवलिंग या शिव प्रतिमा से स्पर्श करा धारण करना चाहिए , रुद्राक्ष धारण करने वालो को शुद्ध सात्विक रहना होता है , अंडा , मांस मदिरा से दूर रहना चाहिए , रात में सोते समय व नहाते आदि समय इसे निकाल देना चाहिए , इसे धारण करने से सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है , और शिव कृपा होती है , रुद्राक्ष धारण करने से भूत-प्रेत और ग्रह बाधा  दूर होती है | रुद्राक्ष हमेशा हृदय के पास धारण करना चाहिए इससे हृदय रोग , हृदय कम्पन , ब्लड प्रेशर , आदि रोगो में आराम मिलता है , व पापो का नाश होता है | 


रक्त संचार सुचारु रहता है , व इसके चुम्बकीय क्षेत्र से शरीर को ऊर्जा मिलती है | एक से लेकर १४ मुखी तक रुद्राक्ष धारण करने से अलग अलग गुण व दैवीय शक्तिया भी मिलती है | रुद्राक्ष की महिमा का वर्णन शिव पुराण , रूद्रपुराण, लिंगपुराण , व भागवत गीता में पूर्ण रूप से मिलता है | आप रुद्राक्ष की पूजा घर में भी रख कर सकते है , खंडित रुद्राक्ष को धारण या पूजा नहीं करना चाहिए | 





३) रुद्राक्ष की पहचान  ;- आज कल नकली रुद्राक्ष बनाकर भी बेचे जा रहे है | जैसे फाइबर व प्लास्टिक के जरुरत है , इनसे बचने की व पहचानने की १) रुद्राक्ष को उबाले यदि उसका रंग न निकले या कोई परवर्तन न हो तो वह असली है | 



२) यदि रुद्राक्ष पानी में डूब जाता है , तो वह असली है | 
३) रुद्राक्ष के ऊपर उभरे पठार एक रूप हो तो वह नकली है, असली रुद्राक्ष की ऊपरी सतह कभी एक रूप नहीं होती | 



४) रुद्राक्ष को सुई से कुरेदे अगर रेशा निकले तो वह असली है , और न निकले तो नकली है | 
५) सरसो के तेल में डालने पर अपने रंग से गहरा दिखे तो वह असली है | 
६) रुद्राक्ष के सामान ही एक भद्राक्ष का भी पेंड होता है , जो दीखता तो रुद्राक्ष बीज की तरह ही होता है , परन्तु यह  नकली होता है , असली रुद्राक्ष में प्राकृतिक छेद होते है , जबकि भद्राक्ष में छेद कर इसे रुद्राक्ष के रूप में पेश किया जाता है | 


लेखक;-रुद्राक्ष माला हेतु_____ रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/  and on https://www.facebook.com/ravikantyadava







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