Wednesday 28 November 2018

शिव (lord of time )


ॐ नमः शिवाय 
भगवान शिव के १०8  नाम है , प्रमुख १० नाम  १) शिव - जिसका अर्थ है =कल्याण स्वरुप २)महेश्वर = माया के अधीश्वर ३) शम्भू -आनंद स्वरुप वाले ४)पिनाकी- पिनाक धनुष धारण करने वाले ५)शशिशेखर = सिरपर चन्द्रमा धारण करने वाले  ६) वामदेव - अत्यंत सुन्दर स्वरुप वाले  ७) विरुपाक्ष - विचित्र आंखवाले त्रिनेत्रधारी ८)कपर्दी - जटाजूट धारण करने वाले  ९) नीललोहित - नीले  और लाल रंग वाले  १०) शंकर - सबका कल्याण करने वाले | 
भगवान शिव को स्वयंभू कहा गया है , अर्थात जिसका अर्थ है , वह अजन्मा है , एक बार शिव अमृत पान की लालसा ही नहीं लिए हुए अमृत लेकर जब अपने जंघा पर मलते है, तो विष्णु का जन्म हुआ बाद में विष्णु के नाभि कमल से ब्रम्हा उत्पन्न हुए | 




शिव का न आदि है न अंत है , जो अजन्मा अविनाशी है | शिव महाकाल है अर्थात कालो के काल मृत्यु के भी देवता ,जो भूत ,भविष्य ,  वर्तमान  पर नियंत्रण रखते है , | काल यात्रा कर सकते है , अर्थात त्रिकाल दर्शी है , भूत, भविष्य , वर्तमान को जानने वाले है , व  बदलने वाले भी शिव है , इनका त्रिसूल तीनो कालो का सूचक है | 
जो जीवन मृत्यु से परे है , जो काल समय से परे है ,वो शिव है | 



महादेव है ,अर्थात देवो के भी देव है , राम से लेकर रावण तक इनके उपासक है |  देव दानव मानव सभी इनकी आराधना करते है , | शिव सभी के है , देव , दानव , मानव, भूत,प्रेत, यक्ष , गन्धर्व, नाग, किन्नर , सभी शिव कृपा पात्र है , शिव सभी के है | 




एक तरफ बालक मार्कण्डेय की मृत्यु जन्म के साथ  निर्धारित  करते है , दूसरी तरफ जब उनकी मृत्यु आती है तब न केवल मृत्यु से उनकी रक्षा करते है , वरन अमरता का वरदान भी प्रदान करते है |



 शिव ही आदि है तो अंत भी है , अर्थात जिसका न तो आदि है न अंत  , ब्रह्माण्ड की सारी  शक्तिया शिव के अधीन है , शिव त्रिलोकी नाथ है , शिव गुरुवो के भी गुरु है , समुद्र मंथन से सभी को सुख , सफलता , सम्पन्नता , ऐश्वर्य, धन, वैभव, अमरता आदि की कामना थी , परन्तु शिव को कुछ नहीं चाहिए , शिव बैरागी है , उल्टे  उन्होंने लोक कल्याण हेतु हलाहल विष का ही पान कर लिया 




तो दूसरी तरफ तपस्या में बाधा  पहुंचाने  पर कामदेव को ही जला कर भस्म कर  देते है  | शिव आज भी गुरु है , सारी शक्तिया शिव से ही है , अतः उस आशुतोष जो तुरंत प्रसन्न होते है | विष्णु को सुदर्शन चक्र , परशुराम को अजेय दिव्य परशु , इंद्र को पिनाक धनुष , तथा सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर अर्जुन को पाशुपास्त्र प्रदान करते है | 





ऐसे महादेव भोलेनाथ की हम आराधना करते है | 
 करपूर गौरम करूणावतारम. संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |. सदा वसंतम हृदयारविंदे. भवम भवानी सहितं नमामि ||


   लेखक;-शिव भक्त ___रविकान्त यादव  for more click me ;-
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