परिवर्तन प्रकृति का नियम है | पेंड पौधे अपने पत्तियों को पतझड़ में त्याग कर इसका आरम्भ करते है |
व नयी चमकती पत्तियों से मनोहर होते है |
फिर से फल- फूल लगते है , व अपना दायित्व निर्वहन करते है |
यहाँ परिवर्तन से आशय बदलाव नव आगाज़ व बुराई से अच्छाई की ओर या एक अच्छे बदलाव के लिए है |
एक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम से जब नवप्रवर्तन करता है , तब गौतम बुद्धा बन जाता है |
डाकू रत्नाकर अंगुलिमाल की तरह उसे नारद मिलते है , पूछते है , जाओ अपने घर व पूछो तुम्हारे इस पाप में वे भागी है , वह घर गया पूछा तो सभी ने उसके पाप में भागी होने से मना कर दिया |
इस तरह वह परिवर्तन करता है , तो रामायण का रचयिता व श्रेष्ठ महर्षि बाल्मीकि हो जाता है |
जरुरत है हम सभी को कही न कही नवप्रवर्तन की , आज इंडिया ५-० से सीरीज हार गयी हमारा क्या गया हम जिन्दे है | बात आयी और गयी | यहाँ बता दू कभी सचिन , सेहवाग बॉलर की तरफ गए थे , या बॉलर थे , कप्तान सौरव गांगुली फुटबॉल खिलाडी थे , या बोलिंग करना choose करते थे बोलिंग पसंद थी |
हम अपने वर्तमान से संतुस्ट क्यों है ,
नवप्रवर्तन की बात करे तो इसका न कोई दायरा है और न ही अंत बस अपने मन को सुनहरे सपने या कार्य की तरफ लगावो चाहे वह प्रेरणा हो आपका ख्वाब हो या नाराज़गी बहते जल की तरह अपना रास्ता खोज लो , जल की तरह सबकी आत्मा को तृप्त कर दो |
ठहरा जल तो स्वयं के विनाश का कारन है |
जिसके कीड़े उससे स्वयं निकलना नहीं चाहते , नवप्रवर्तन स्वयं से ज्यादा समाज की भलाई के लिए है |
तो उठो व नवप्रवर्तन से आत्म शुद्धि के तप से समाज को आलोकित करो , यही एक सज़्ज़न का दायित्व है |
व नयी चमकती पत्तियों से मनोहर होते है |
फिर से फल- फूल लगते है , व अपना दायित्व निर्वहन करते है |
यहाँ परिवर्तन से आशय बदलाव नव आगाज़ व बुराई से अच्छाई की ओर या एक अच्छे बदलाव के लिए है |
एक राजकुमार सिद्धार्थ गौतम से जब नवप्रवर्तन करता है , तब गौतम बुद्धा बन जाता है |
डाकू रत्नाकर अंगुलिमाल की तरह उसे नारद मिलते है , पूछते है , जाओ अपने घर व पूछो तुम्हारे इस पाप में वे भागी है , वह घर गया पूछा तो सभी ने उसके पाप में भागी होने से मना कर दिया |
इस तरह वह परिवर्तन करता है , तो रामायण का रचयिता व श्रेष्ठ महर्षि बाल्मीकि हो जाता है |
जरुरत है हम सभी को कही न कही नवप्रवर्तन की , आज इंडिया ५-० से सीरीज हार गयी हमारा क्या गया हम जिन्दे है | बात आयी और गयी | यहाँ बता दू कभी सचिन , सेहवाग बॉलर की तरफ गए थे , या बॉलर थे , कप्तान सौरव गांगुली फुटबॉल खिलाडी थे , या बोलिंग करना choose करते थे बोलिंग पसंद थी |
हम अपने वर्तमान से संतुस्ट क्यों है ,
नवप्रवर्तन की बात करे तो इसका न कोई दायरा है और न ही अंत बस अपने मन को सुनहरे सपने या कार्य की तरफ लगावो चाहे वह प्रेरणा हो आपका ख्वाब हो या नाराज़गी बहते जल की तरह अपना रास्ता खोज लो , जल की तरह सबकी आत्मा को तृप्त कर दो |
ठहरा जल तो स्वयं के विनाश का कारन है |
जिसके कीड़े उससे स्वयं निकलना नहीं चाहते , नवप्रवर्तन स्वयं से ज्यादा समाज की भलाई के लिए है |
तो उठो व नवप्रवर्तन से आत्म शुद्धि के तप से समाज को आलोकित करो , यही एक सज़्ज़न का दायित्व है |
लेखक;- परिवर्तनीय,,,,,,,,,,,,रविकान्त यादव for more click me ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava
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