Tuesday 23 May 2017

विनम्रता (humility, politeness -a lack of false pride )

कहते है , विनम्र न कभी अपमानित हो सकता और न ही टूट सकता है । जिस प्रकार फलो से लदा वृक्ष झुक जाता है , उसी प्रकार ज्ञान गुण विनम्र बना देता है । 
अकड़ रखने वाले विशाल वृक्ष भी हवा के थपेड़ो से जड़ से उखड जाते है , या टूट जाते है , । 
समय सामान अवसर दोनों को देता है , चाहे वह वृक्ष हो या हवा । 

परंतु हमारे गौरवशाली देश की नींव भरतवंशियो पर आश्रित है , शकुंतला और दुष्यन्त के पुत्र भरत महापराक्रमी थे ,

 उन्होंने केवल सत्य न्याय धर्म  के लिए झुकना सीखा था।  उन्होंने कुल गंगा , यमुना, सरस्वती , नदियों के तट पर क्रमश सौ, तीन सौ , व चार सौ कुल आठ सौ अश्वमेघ  यज्ञ किये थे ।


 महाभारत में शांतनु , गंगापुत्र भीष्म , कौरव, पांडव, इन्ही के वंशज थे । 
राजा भरत के नाम पर ही हमारे देश का एक नाम और भारत पड़ा है । 


लेखक;- विनम्र _____रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.in/
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