Friday 27 January 2017

धरती पर खतरा (earth at risk )

वैसे तो धरती पर एटम बम हाइड्रोजन बम के बाद अंधाधुंध बेहिसाब प्राकृतिक संसाधन दोहन व प्राकृतिक क्षरण होने के बाद धरती को सबसे बड़ा खतरा ग्रीन हाउस गैसों से है , सच कहे तो ये धरती को खतरा कम और उस पर रहने वालो को ज्यादा है । और मज़े की बात की इसका कारन इसपे रहने वाले लोग ही है । 



ग्रीन हाउस गैसे ;- भाप , कार्बनdioxide , मेथेन , नाइट्रोजन ऑक्साइड , (nitrous oxide ) जिसे laughing gas  हँसाने वाली गैस भी कहते है , और ओजोन गैस यह प्राकृतिक गैस है जिसका रंग नीला होता है , व तीव्र गंध होती है । 

इसके श्रोत ;- जीवाश्म ईंधन जैसे;- कोयला और गैस , पेट्रोल, नरम कोयला - आदि का उपयोग , वनों की कटाई से , रासायनिक खाद , औद्योगिक प्रक्रियाए व मशीनीरी और आदमी जानवरो की स्वशन प्रक्रिया । 


प्रभाव ;- ग्रीन हाउस गैसे धरती पर गर्मी पैदा करती है ,साथ ही ये ओजोन परत में छेद कर रही है जिससे हानिकारक सूर्य किरणे सीधे धरती पर पड़ती है , और हमारा रिज़र्व पानी जैसे अंटार्कटिका महाद्वीप , north pole (आर्कटिक ) south pole (जिसे अंटार्कटिक भी कहते है )ध्रुवो पर हिमालय व अन्य बर्फीले भारत में हिमालय स्थान तेज़ी से पिघल रहे है ।





जिससे समुद्र के किनारे के नगर जैसे मुम्बई व समुद्र के अंदर द्वीप जैसे मालदीव डूब जायेगे यहाँ दस फ़ीट पानी भर जायेगा , एक समय की श्री कृष्ण की द्वारका नगरी जो गुजरात में समुद्र किनारे थी आज १०० फ़ीट या ज्यादा पानी में डूबी हुई है । 





साक्ष्य प्रमाण मिले है , जरा सोचिये उस वक़्त से आज तक प्रदुषण का स्तर कितना बढ़ चूका है । 

लेखक;- संसाधन उपभोगी_____ रविकान्त यादव for  more click me ;-https://www.facebook.com/ravikantyadava and
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