Saturday 14 January 2017

ऊर्जा (a energy, poison and ambrosia of life )

ईश्वर एक है और उसके बनाये भी एक है । सूरज एक है ,जिसे प्रत्यक्ष देव भी कहते है , उससे प्राप्त ऊर्जा से पेंड पौधों को ऊर्जा मिलती है वे अपना भोजन बनाते है , उनका पालन पोषण होता है , फल आते है फसले उगती है , अन्न पकता है । 

वाष्पोत्सर्जन   होता है  , बादल बनते है , हवाओ का दबाब बनता है , वर्षा होती है , तरह -तरह  की वनस्पतियां हरियाली बनती है ,



जिससे दुधारू पशुओ व पक्षियों को मीठे रसीले फल तोते गिलहरी मोर कोयल प्रकिति अन्य नभ थल जीव  जन्तुओ का पालन पोषण होता है । ताल ,तलैया ,झरने, नदिया बनती है , ठंडी हवाये चलती है मीठे जल मिलते है , । 





जलीय जीवन से भी मानव पोषित  होता है । वही सूरज से जीव  को विटामिन d भी मिलता है । सूर्य ऊर्जा से गुरुत्व बल के कारण ही पृथ्वी अपनी धुरी पर अपनी जगह पर रहती है व सूर्य की परिक्रमा कर रही है । 
तथा north pole से south pole की तरफ अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरी घूम रही है ये सूर्य ही चंद्रमा को आलोकित कर रहा है । 

वही एक सूरज से  लू लग जाती है , स्किन कैंसर होता है अकाल पड़ते है । पशु पक्षीया भूख प्यास से दम  तोड़ते है ।
अतिवृष्टि होती है , बाढ़ आते है  न हो तो ओला पड़ते है , बर्फ़बारी होती है , हवा के अत्यधिक दाब से भयानक आंधिया चलती है , फल व फसले  तबाह हो जाती है जीवन ठप व नरकीय हो जाता है । 
वही एक सूर्य से जीव जंतु उमस से व्याकुल हो जाते है वही सूर्य  न हो तो  मानव जीवन बेहाल हो जाता है , धुंध व कोहरे का कहर पड़ता है । 
वही एक सूर्य के ultravoilet radition से मानव को तमाम हानि solar flare आंधी से तीव्र अधिक रेडिशन से मानव तकनीक , दुनिया व पृथ्वी को तहस नहस कर सकती है । 

ईश्वर एक है , सूर्य भी एक है , जीवन भी एक है और ऊर्जा भी एक है इसी तरह हमें किस ऊर्जा को ग्रहण करना है वो हमारा काम है , हम अच्छाई ग्रहण करे या बुराई आज हमारी सोच छोटी होती जा रही है व आवयसकताए बड़ी , स्वार्थ प्रथम हो गया है । 
यहाँ क्या स्थाई है क्या परिवर्तनीय ???
ईश्वर एक है , ऊर्जा भी एक है । 
बस हम देखते है क्या ग्रहण कर रहे है, क्या परित्याग और क्या उपयोग । 
हमारे कर्म ही हमारे लिए स्वर्ग नर्क  का निर्माण कर रहे है ॥ 

लेखक;- ऊर्जायुक्त_____ रविकान्त यादव for more click me ;-http://justiceleague-justice.blogspot.com/ and https://www.facebook.com/ravikantyadava









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